प्रयागराज, डेस्क रिपोर्ट। इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मातृत्व अवकाश के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने फिरोजाबाद के बेसिक शिक्षाधिकारी के आदेश को रद्द कर दिया है और कहा कि किसी महिला कर्मचारी को दो साल में दो मातृत्व अवकाश का लाभ न देना कानून के खिलाफ है। वही याची को इस समय का उसे वेतन सहित अन्य लाभ भी देने का आदेश दिया है।
AIIMS में नौकरी पाने का आखरी मौका, 194 पदों पर निकली है भर्ती, जल्द करें अप्लाई
दरअसल, यह याचिका फिरोजाबाद के उच्च प्राथमिक विद्यालय नगला बालू में तैनात सहायक अध्यापिका सुनीता यादव ने लगाई थी,जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट को बताया गया कि याची ने 2020 में 180 दिनों का वैतनिक मातृत्व अवकाश लिया था और फिर दूसरे मातृत्व अवकाश के लिए मई 2022 में BSA को आवेदन किया लेकिन BSA ने यह कहकर आवेदन निरस्त कर दिया कि दो मातृत्व अवकाशों के बीच दो साल का अंतराल जरूरी है। वही राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे स्थाई अधिवक्ता ने कहा कि BSA ने फाइनेंशियल हैंडबुक में दिए नियमों के अनुसार आदेश दिया है।
यह भी पढे…PM Kisan: किसानों के लिए 2 गुड न्यूज, अब घर बैठे मिलेगी ये सारी जानकारी, अगली किस्त पर बड़ी अपडेट
जस्टिस सिद्धार्थ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि किसी महिला कर्मचारी को दो साल में दो मातृत्व अवकाश का लाभ न देना कानून के खिलाफ है मातृत्व लाभ अधिनियम में ऐसी कोई बंदिश नहीं है कि दो साल के बाद ही मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाए। यह लाभ दो साल के अंदर भी दिया जा सकता है।हाईकोर्ट ने फिरोजाबाद बेसिक शिक्षाधिकारी के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि याची को दूसरे मातृत्व अवकाश का लाभ दिया जाए। साथ ही इस समय का उसे वेतन सहित अन्य लाभ भी देने का आदेश दिया है।