हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, राज्य सरकार को दिए ये आदेश, 8 हफ्तों में मिलेगा लाभ, जानें पूरा मामला

Pooja Khodani
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कटक, डेस्क रिपोर्ट। ओडिशा हाई कोर्ट ने सात साल की बच्ची की मौत के मामले में अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए 8 हफ्ते में 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने जिला कलेक्टरों को बच्चों के साथ होने वाली घातक दुर्घटनाओं की रोकथाम के उपायों पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने इस मामले में नौ पेज में अपना फैसला सुनाया है।

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मृतक कटक से करीब 100 किलोमीटर दूर घासीपुरा प्रखंड के कोल्हाबेड़ा आश्रम स्कूल छात्रावास की रहने वाली थीं,जिसकी 3 अक्टूबर 2013 को एक नवनिर्मित किचन शेड की दीवार गिरने से मौत हो गई थी। जब मामले की जांच की गई तो पता चला कि दीवार का निर्माण बिना उचित नींव के अवैध रूप से किया गया था।इसके बाद मृतक बच्ची के पिता ने ओडिशा हाई कोर्ट से मदद की गुहार लगाई थी, जिसके बाद 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि के अलावा जिला रेड क्रॉस सोसाइटी फंड से 10,000 रुपये प्रदान किए गए थे।

जानकारी के मुताबिक, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह फैसला 9 साल पहले क्योंझर जिले में हुई एक स्कूल की छात्रा मौत मामले में सुनाया है।ओडिशा हाई कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए सात साल की बच्ची की मौत के मामले में निर्देश दिया कि वह उसके पिता को 10 लाख रुपये का मुआवजा दे। मुआवजे की राशि बच्ची के पिता को आठ सप्ताह के भीतर दी जाए।

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गुरूवार को मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि छात्रा की मौत की जिम्मेदारी निश्चित रूप से राज्य सरकार की है। स्कूल परिसर में रसोई बनाने के लिए गलत सामग्री का प्रयोग किया जाना, अधिकारियों की लापरवाही थी। जोकि जांच के दौरान पहले ही तय हो चुका है। 10 लाख का मुआवजे का आदेश देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य द्वारा पहले ही बच्ची को दी गई राशि में कटौती की जा सकती है और शेष राशि उन्हें आठ सप्ताह के भीतर दी जानी चाहिए।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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