MP Breaking News
Fri, Dec 19, 2025

वन भूमि से बेदखली पर शिमला में सेब बागबानों का प्रदर्शन, पुलिस के साथ हुई धक्का-मुक्की

Written by:Neha Sharma
Published:
हिमाचल प्रदेश में वन भूमि से बेदखली के विरोध में सेब बागबानों ने मंगलवार को शिमला में हल्ला बोला। किसान सभा और सेब उत्पादक संघ के बैनर तले बागबानों ने टॉलेंड से सचिवालय तक मार्च निकाला और सड़क पर चक्का जाम कर दिया।
वन भूमि से बेदखली पर शिमला में सेब बागबानों का प्रदर्शन, पुलिस के साथ हुई धक्का-मुक्की

हिमाचल प्रदेश में वन भूमि से बेदखली के विरोध में मंगलवार को बड़ी संख्या में सेब बागबान शिमला पहुंचे और सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। किसान सभा और सेब उत्पादक संघ के बैनर तले बागबानों ने टॉलेंड से सचिवालय तक मार्च निकाला और सड़क पर चक्का जाम कर दिया। इससे आम जनता को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। प्रदर्शन के दौरान गुस्साए बागबानों ने पुलिस के बैरिकेड्स हटा दिए, जिससे हल्की झड़प भी हुई। बाद में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाया।

किसानों-बागबानों का प्रदर्शन

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वन भूमि से बेदखली की कार्रवाई छोटे किसानों और बागबानों पर भारी पड़ रही है। सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन ठाकुर ने बताया कि भारी बारिश के बावजूद प्रदेश भर से सैकड़ों किसान-बागबान शिमला पहुंचे। मंडी, कुल्लू और चंबा जैसी जगहों पर सड़कें बंद होने के कारण कई किसान शिमला नहीं पहुंच सके, लेकिन उनकी मांगें स्पष्ट हैं—बेदखली पर रोक लगाई जाए और राहत दी जाए।

जमीन के मालिकाना हक की मांग

प्रदर्शन कर रहे किसान पांच बीघा तक जमीन के मालिकाना हक की मांग कर रहे हैं, विशेषकर उन भूमिहीन किसानों को जो वर्षों से इस भूमि पर खेती कर रहे हैं। वे यह भी चाहते हैं कि हाई कोर्ट के आदेश पर हो रही बेदखली की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए। पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि 1980 के बाद से किसी भी सरकार ने किसानों को जमीन देने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया और उन्होंने हाल ही में डीएफओ द्वारा की गई बेदखली को गैरकानूनी करार दिया।

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने एक राहत भरा आदेश दिया है। पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र सिंह पंवर और एक अन्य व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सेब के फलों से लदे पौधों को काटने पर रोक लगा दी है। हालांकि किसान इससे संतुष्ट नहीं हैं और वन भूमि से उनकी पूरी बेदखली रोकने की मांग पर अड़े हुए हैं।