हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में छात्रों की कम संख्या वाले 220 सरकारी स्कूलों को या तो बंद करने या मर्ज करने का फैसला किया है। इनमें से 100 स्कूलों को पूरी तरह डिनोटिफाई किया गया है, जहां एक भी छात्र नामांकित नहीं था। शेष 120 स्कूलों को पास के दूसरे स्कूलों में मर्ज कर दिया गया है। यह कदम शिक्षा संसाधनों के बेहतर उपयोग और युक्तिकरण नीति के तहत उठाया गया है।
डिनोटिफाई किए गए ये स्कूल
डिनोटिफाई किए गए स्कूलों में 72 प्राइमरी और 28 मिडिल स्कूल शामिल हैं। मंडी जिले में सबसे ज्यादा 13 प्राइमरी स्कूल डिनोटिफाई हुए हैं, जबकि शिमला के 12, चंबा और सोलन के 7-7, किन्नौर के 3, कुल्लू के 5, लाहौल-स्पीति के 4, सिरमौर के 5 और ऊना जिले के 2 स्कूल शामिल हैं। मिडिल स्कूलों में शिमला जिले में सबसे ज्यादा 14 स्कूल डिनोटिफाई किए गए हैं। अन्य जिलों में किन्नौर में 4, कुल्लू, सिरमौर और लाहौल-स्पीति में 2-2 और कांगड़ा, चंबा, सोलन और ऊना में 1-1 स्कूल बंद किए गए हैं।
दूसरे आदेश के अनुसार, 5 से कम छात्रों वाले 120 स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में मर्ज कर दिया गया है। इनमें कांगड़ा जिले में सबसे अधिक 52 स्कूल शामिल हैं। इसके अलावा मंडी में 25, बिलासपुर में 15, शिमला में 9, सोलन में 6, सिरमौर में 5, ऊना में 3, हमीरपुर में 4 और कुल्लू में 1 स्कूल मर्ज किया गया है।
शिक्षा विभाग का बड़ा कदम
शिक्षा विभाग ने यह कदम इस शैक्षणिक सत्र की एनरोलमेंट संख्या के आधार पर उठाया है। इन स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों को अब शिक्षा विभाग जरूरत के अनुसार अन्य स्कूलों में नियुक्त करेगा। यह फैसला न केवल शिक्षा प्रणाली की दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है, बल्कि संसाधनों के उचित वितरण को भी सुनिश्चित करेगा।
सरकार का मानना है कि इससे छात्रों को बेहतर शैक्षणिक माहौल मिलेगा और शिक्षकों की भी ठीक से तैनाती की जा सकेगी। यह कदम शिक्षा क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक बड़ी पहल के रूप में देखा जा रहा है।





