असम मंत्रिमंडल ने बुधवार को अंतर-धार्मिक भूमि हस्तांतरण के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को मंजूरी दी है, जिसके तहत ऐसी सभी भूमि हस्तांतरण की पुलिस जांच अनिवार्य होगी। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि असम जैसे संवेदनशील राज्य में विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच भूमि हस्तांतरण को बहुत सावधानी से संभालने की जरूरत है। अब सभी ऐसे प्रस्ताव राज्य सरकार के पास आएंगे, जहां विशेष पुलिस शाखा द्वारा उनकी जांच की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि विशेष शाखा भूमि खरीद के लिए धन के स्रोत, खरीदार के कर रिटर्न में उसकी प्रविष्टि, स्थानीय सामाजिक ताने-बाने पर प्रभाव, स्थानीय निवासियों के विरोध और राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव जैसे मुद्दों की सावधानीपूर्वक जांच करेगी। इसके बाद राज्य सरकार जिला उपायुक्तों को सूचित करेगी कि भूमि हस्तांतरण की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं और उपायुक्त उसी के अनुसार अंतिम निर्णय लेंगे।
असम के बाहर से आने वाले एनजीओ
सरमा ने कहा कि यह प्रक्रिया असम के बाहर से आने वाले गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) पर भी लागू होगी, जो राज्य में शैक्षिक या स्वास्थ्य संस्थान स्थापित करने के लिए जमीन खरीदना चाहते हैं। ऐसी सभी खरीद राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से जांच की जाएगी। हालांकि, स्थानीय एनजीओ, जो अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं, को इस प्रक्रिया से छूट दी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि केरल के कुछ एनजीओ, जो किसी विशेष धर्म से जुड़े हैं, ने श्रीभूमि, बारपेटा और बराक घाटी के जिलों में बड़ी मात्रा में जमीन खरीदी है या खरीदने की कोशिश कर रहे हैं।
असम यात्रा की तारीखों में हुआ बदलाव
मुख्यमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की असम यात्रा की तारीखों में बदलाव किया गया है। पहले 8 सितंबर को प्रस्तावित यह यात्रा अब 13-14 सितंबर को होगी, जिसमें वह भारत रत्न भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी समारोह में हिस्सा लेंगे। इसके अलावा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी 28 अगस्त से दो दिन की यात्रा पर असम आएंगे, जहां वह तीन आयोजनों में भाग लेंगे, जिसमें अगले साल के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की कोर कमेटी की बैठक शामिल है।





