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Sun, Dec 7, 2025

लव-जिहाद विरोधी कानून में पुरुष आरोपी के माता-पिता को भी गिरफ्तार करने का प्रावधान: हिमंता बिस्वा सरमा

Written by:Mini Pandey
सरमा ने कछार जिले के लखीपुर में एक महिला सशक्तिकरण योजना के चेक वितरण समारोह में कहा कि नया कानून महिलाओं को लव-जिहाद और बहुविवाह के जाल से बचाने के लिए लाया जा रहा है।
लव-जिहाद विरोधी कानून में पुरुष आरोपी के माता-पिता को भी गिरफ्तार करने का प्रावधान: हिमंता बिस्वा सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा कि प्रस्तावित लव-जिहाद विरोधी कानून में पुरुष आरोपी के माता-पिता को भी गिरफ्तार करने का प्रावधान होगा। यह बयान उन्होंने कैबिनेट बैठक के बाद दिया, जिसमें बहुविवाह और लव-जिहाद के खिलाफ कानून सहित कई महत्वपूर्ण विधेयकों को अगले विधानसभा सत्र में पेश करने का निर्णय लिया गया।

सरमा ने शुक्रवार को कछार जिले के लखीपुर में एक महिला सशक्तिकरण योजना के चेक वितरण समारोह में कहा कि नया कानून महिलाओं को लव-जिहाद और बहुविवाह के जाल से बचाने के लिए लाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमारी महिलाओं को इन जालसाजियों से बचाने के लिए कड़े कानून ला रहे हैं, और लव-जिहाद के मामले में पुरुष आरोपी के माता-पिता भी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार होंगे।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि तीन से अधिक बच्चों वाली महिलाएं सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं ले सकेंगी।

बहुविवाह विरोधी कानून पर क्या बोले

मुख्यमंत्री ने बहुविवाह विरोधी कानून पर बोलते हुए कहा कि कई पुरुष एक से अधिक शादियां करते हैं, जिससे महिलाओं को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। उन्होंने कहा, “नए कानून के तहत, यदि कोई पुरुष एक से अधिक महिलाओं से शादी करता है, तो उसे सात साल तक की जेल हो सकती है।” सरमा ने यह भी स्पष्ट किया कि कछार जिले के 19 गांवों को दिमा हसाओ को सौंपने की अफवाहें गलत हैं और कांग्रेस जैसी पार्टियां इसे फैला रही हैं।

एक भी गांव दिमा हसाओ को नहीं देंगे

कछार में 27 अप्रैल, 2023 को दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए), भारत सरकार और असम सरकार के बीच हुए शांति समझौते के तहत गांवों के हस्तांतरण की अफवाहों को खारिज करते हुए सरमा ने कहा कि कछार का एक भी गांव दिमा हसाओ को नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कार्यकर्ता मेधा पाटकर के बयानों पर भी निशाना साधा, जिन्होंने गायक जुबिन गर्ग की मृत्यु की जांच और राज्य की बेदखली कार्रवाइयों पर टिप्पणी की थी। सरमा ने कहा कि बाहरी लोग असम के स्वदेशी लोगों की पीड़ा को नहीं समझते और उन्हें हस्तक्षेप से बचना चाहिए।