Tue, Dec 23, 2025

How Pilot Knows Routes : जानें कैसे पायलट को पता चलता है रास्ता, कितनी ऊंचाई पर उड़ता है एयरप्लेन?

Written by:Ayushi Jain
Published:
How Pilot Knows Routes : जानें कैसे पायलट को पता चलता है रास्ता, कितनी ऊंचाई पर उड़ता है एयरप्लेन?

How Pilot Knows Routes : आपने भी फ्लाइट में बैठने का सपना जरूर देखा होगा। वहीं कई लोग एक ना एक बार तो जरूर फ्लाइट में बैठे होंगे। ऐसे में हर किसी के जहान में एक सवाल जरूर आया होगा कि आखिर फ्लाइट में पायलट रास्ता कैसे ढूंढता है? उन्हें कैसे पता चलता है कि फ्लाइट किस दिशा में उड़ानी है और कैसे लोकेशन पर पहुंचना है।

इतना ही नहीं कई लोगों ने यह भी जानने की कोशिश की होगी की एयरप्लेन में कौन सा तेल का इस्तेमाल किया जाता है और हवाई जहाज कितने किलोमीटर ऊपर उड़ता है। अगर आपने भी यह सब सवाल सोचे हैं तो आज हम आपके सवालों के जवाब बताने जा रहे हैं, तो चलिए जानते हैं कि आखिर पायलट को कैसे पता चलता है कि उन्हें किस दिशा में जाना है और वह रास्ता कैसे ढूंढते हैं।

जैसा की आप सभी को पता है बादलों के बीच से गुजरते हुए पायलेट आपको आपकी मंजिल तक पहुंचाता है। लेकिन इन बादलों से भरे आसमान में पायलेट को कैसे सही रास्ते का पता चलता है चलिए जानते है –

How Pilot Knows Routes : ऐसे पता चलता है रास्ता 

आपको बता दे, जब पायलट एयरप्लेन को उड़ाता है तो उसे रेडियो और रेडार के इस्तेमाल से रास्ता बताया जाता है। वहीं  (ATC) एयर ट्रैफिक कंट्रोल से भी उन्हें निर्देश दिए जाते हैं कि उन्हें किस दिशा में जाना है और किस दिशा में नहीं जाना है।

इसके अलावा पायलेट को सही दिशा बताने के लिए होरिजेंटल सिचुएशन इंडिकेटर का भी इस्तेमाल किया जाता है। इससे उन्हें आसानी से पता चल जाता है कि कौनसा रास्ता उनके लिए सही है। एयरप्लेन में लगे सिस्टम में हर स्थान की स्थिति अक्षांश और देशांतर सब कुछ सही पता चल जाती हैं।

इतनी ऊंचाई पर उड़ता है एयरप्लेन 

एक एयरप्लेन आमतौर पर करीब 35 हजार फिट की ऊंचाई पर उड़ता है। हालांकि जगह के हिसाब से इसकी ऊंचाई बदलती रहती है। वाणिज्यिक यात्री जेट विमान 9,0000 फीट की दूरी पर उड़ता है। वहीं एयरप्लेन 35 हजार से 40 हजार फीट की दूरी पर ही उड़ते हैं।

इस ईंधन से चलता है एयरप्लेन 

ईंधन के रूप में केरोसिन (जेट ए-1) और नैप्था- केरोसिन (जेट-बी) के मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता है। यह डीजल ईंधन के समान ही होता है, जिसका उपयोग टरबाइन इंजन में भी किया जाता है।