नई दिल्ली| देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 7,447 हो गए हैं। हालांकि, अगर समय रहते लॉकडाउन का फैसला नहीं लिया गया होता तो देश में अब तक स्थिति बहुत खराब हो सकती थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन और कन्टेनमेंट बहुत महत्वपूर्ण हैं। अगर हमने इस तरह के कदम नहीं उठाए होते तो 15 अप्रैल तक देश में कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों की संख्या 8.2 लाख तक पहुंच चुकी होती।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि, पिछले 24 घंटे में सर्वाधिक 1035 मामले सामने आए हैं, जबकि 40 लोगों की मौत हो गई है। देश में अब तक 7447 केस सामने आए हैं और कुल 239 लोगों की मौत हुई है। वहीं, 642 लोग ठीक हो गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने शनिवार को रोजाना प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि भारत ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए ऐहतियाती कदम उठाए। हमने एक ग्रेडेड अप्रोच अपनाया। 2 राज्यों में और केंद्रीय स्तर पर देश में सिर्फ कोरोना वायरस से जुड़े मामलों के इलाज के लिए 587 अस्पताल हैं।’ देशभर में 1 लाख आइसोलेशन बेड और 11,500 आईसीयू बिस्तर कोविड-19 के मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं।





