कर्मचारियों के लिए हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, ग्रेच्युटी भुगतान में नहीं होगी बकाए राशि की कटौती, राशि भुगतान के निर्देश

Kashish Trivedi
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Employees, Gratuity Payment, Employees News : हाई कोर्ट द्वारा कर्मचारियों को बड़ी राहत दी गई है। हाई कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा है की ग्रेच्युटी भुगतान से आयोग की बकाया की राशि की कटौती अवैध पूर्ण है। इसके साथ शासन की अपील को खारिज कर दिया गया है। निर्देश दिया गया है प्रतिवादी को ग्रेच्युटी दर से काटी गई राशि को उसे वापस किया जाए।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण सुनवाई में बड़ा निर्णय दिया है। शुक्रवार को भी सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि ग्रेच्युटी राशि से छठा वेतन आयोग की बकाया की राशि की कटौती अवैध पूर्ण है। न्यायमूर्ति सलीम कुमार राय और न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह की पीठ द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई की। इस दौरान एकल न्यायाधीश द्वारा ग्रामीण विकास को निर्देश दिया गया था कि प्रतिवादी को ग्रेच्युटी से काटी गई राशि का भुगतान किया जाए।

ऐसे में डबल बेंच के आदेश के बाद ग्रामीण विकास में कार्यरत सहायक अभियंता को उनके काटी गई राशि का भुगतान किया जाएगा। मामले में याचिकाकर्ता को 8000 से 13500 के वेतनमान पर सहायक अभियंता डीआरडीए चंदौली के पद पर तैनात किया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी सेवाओं के आधार पर छठा वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार संशोधित वेतनमान दिया गया था। छठे वेतन आयोग की सिफारिश के कार्यान्वन के स्वीकार्य नियमों के अनुसार याचिकाकर्ता को वेतन के ऊपर की बकाया राशि का भुगतान भी किया गया था।

मामले में आयुक्त ग्राम विकास उत्तर प्रदेश के अनुदान राशि का प्रस्ताव भेजा गया था। छठे वेतन आयोग के अनुसार लागू होने पर DRDA के कर्मचारियों को बकाया वेतन के भुगतान के लिए राज्य सरकार को 44, 56,620 के अनुदान राशि के प्रस्ताव भेजे गए थे। शासन द्वारा इस प्रस्ताव को अस्वीकार किए जाने पर आयुक्त ग्राम विकास द्वारा परियोजना निदेशक, जिला ग्राम में विकास अभिकरणों को कर्मचारियों के भुगतान के लिए दिए गए। राशि की वसूली करने का निर्देश जारी किया गया था।

सरकार द्वारा वसूली के आदेश जारी होने के बाद मामले को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने सैयद अब्दुल कादिर बनाम बिहार राज्य के मामले का हवाला देते हुए कहा वसूली के खिलाफ राहत अदालत द्वारा कर्मचारियों के किसी अधिकार के कारण नहीं बल्कि कर्मचारियों को राहत देने के लिए न्यायिक विवेक का प्रयोग से दी जाती है यदि वसूली का आदेश दिया गया है तो कठिनाई होगी लेकिन यदि किसी दिए गए मामले में यह साबित हो जाता है कि कर्मचारियों को पता था कि प्राप्त भुगतान दे राशि से अधिक या गलत भुगतान किया गया तो ऐसे मामलों में त्रुटि का पता चलने पर इसे सही किया जा सकता है। ऐसे मामले में परिस्थितियों के आधार पर अधिक भुगतान की गई राशि की वसूली का आदेश जारी किया जा सकता है।

कोर्ट ने थॉमस डेनियल बनाम केरल राज्य के मामले का भी हवाला दिया। जहां कर्मचारियों को अतिरिक्त राशि का भुगतान कर्मचारियों की किसी गलती, बयान बाजी धोखाधड़ी के कारण नहीं किया गया था बल्कि सेवा नियम की व्याख्या में गलती के कारण किया गया था। ऐसे में वसूली के आदेश अन्यायपूर्ण और मनमानी हो जाते हैं।

हाई कोर्ट की डबल बेंच ने आदेश दिया कि छठा वेतन आयोग की बकाया भुगतान की वसूली अन्यायपूर्ण और मनमानी होगी और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है। उपरोक्त नियम के मद्देनजर पीठ ने चुनौती वाली अपील को खारिज कर दी। वही काटी गई राशि का भुगतान कर्मचारियों को करने के निर्देश दिए गए हैं।


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