Old Pension Scheme 2022 :एक तरफ राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड में पुरानी पेंशन योजना लागू होने के बाद आगामी चुनावों से पहले देशभर इसे लागू करने की चर्चाएं तेज है। वही 8 दिसंबर को दिल्ली में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने को लेकर बड़ा आंदोलन होने वाला है। इसी बीच नीति आयोग के (NITI Aayog) के उपाध्यक्ष सुमन बेरी का बड़ा बयान सामने आया है।
नीति आयोग(NITI Aayog) के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने एक साक्षात्कार में चिंता जताते हुए कहा कि पुरानी पेंशन योजना को वापस लागू करने को लेकर मुझे थोड़ी चिंता है। इससे मौजूदा करदाताओं पर तो नहीं बल्कि भविष्य के करदाताओं और नागरिकों पर भार पड़ेगा। वर्तमान में भारत को राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, मैं पुरानी पेंशन योजना में वापसी को लेकर थोड़ा अधिक चिंतित हूं। यह अधिक चिंता का विषय है क्योंकि लागत भविष्य के करदाताओं और नागरिकों द्वारा वहन की जाएगी, वर्तमान नहीं।
इससे पहले पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया (Montek singh Ahluwalia) का बयान सामने आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ओपीएस को यदि वापस लाया जाता है तो यह सरकार की सबसे बड़ी ‘रेवड़ियों’ में से एक होगा। पीएम मोदी ने रेवड़ी (फ्री गिफ्ट) को लेकर सही कहा है।हर कोई राजकोषीय घाटे को कम करने की बात करता है लेकिन कोई भी निश्चित व्यय से छुटकारा पाने सॉलिड उपाय नहीं ढूंढता है। हमें अमेरिका या यूरोप में मंदी है या नहीं, इस बात पर ध्यान देने के बजाय भारतीय अर्थव्यवस्था को 8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत है।
क्या है ओपीएस और एनपीएस
गौरतलब है कि पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकार द्वारा कर्मचारियों-पेंशनरों को पूरी पेंशन राशि दी जाती थी, इसे 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दिया गया था। नई योजना के अनुसार, कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन में योगदान करते हैं, जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत का योगदान करती है।इधर, चर्चा है कि विपक्ष के बढ़ते दबाव के बाद अगले साल 2023 में मोदी सरकार पुरानी पेंशन योजना लाने पर विचार कर सकती है।