Old Pension Scheme : आगामी चुनावों से पहले पुरानी पेंशन योजना को फिर लागू करने की मांग तेजी से उठ रही है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड के बाद अब हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के ऐलान ने देशभर का सियासी पारा हाई कर रखा है। इस फैसले से एक तरफ जहां कर्मचारियों-पेंशनरों में खुशी का माहौल है तो वही दूसरी तरफ नीति आयोग (NITI Aayog) के बाद अब वित्त आयोग ने इस पर चिंता जताई है।
15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने शुक्रवार को कहा कि बहुत विचार-विमर्श के बाद लागू की गई नई पेंशन योजना को छोड़ना राज्यों के लिये ‘नासमझी’ भरा कदम होगा और यह उन्हें ‘कठिनाइयों और दबाव’ में डाल देगा कांग्रेस और आप जैसे राजनीतिक दल मतदाताओं से पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वादा कर रहे हैं। नई पेंशन योजना को छोड़ना और पुरानी व्यवस्था को अपनाना नासमझी भरा कदम है।
आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नई पेंशन व्यवस्था के पक्ष में थे, वहीं तब योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी इसकी सराहना की थी। मेरे सहयोगी मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने इस विषय पर विस्तार से टिप्पणी की है कि नई पेंशन योजना से पीछे हटना और पुरानी पेंशन योजना को अपनाना राज्य के लिए वित्तीय आपदा होगी।
सुमन बेरी ने भी जताई थी चिंता
इससे पहले नीति आयोग(NITI Aayog) के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने एक साक्षात्कार में चिंता जताते हुए कहा था कि पुरानी पेंशन योजना को वापस लागू करने को लेकर मुझे थोड़ी चिंता है। इससे मौजूदा करदाताओं पर तो नहीं बल्कि भविष्य के करदाताओं और नागरिकों पर भार पड़ेगा। वर्तमान में भारत को राजकोषीय स्थिति को बेहतर करने पर ध्यान केंद्रित करने और सतत विकास को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
सबसे बड़ी ‘रेवड़ियों’ में से एक- मोंटेक सिंह आहलूवालिया
वही पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया (Montek singh Ahluwalia) का कहना था कि ओपीएस को यदि वापस लाया जाता है तो यह सरकार की सबसे बड़ी ‘रेवड़ियों’ में से एक होगा। पीएम मोदी ने रेवड़ी (फ्री गिफ्ट) को लेकर सही कहा है।हर कोई राजकोषीय घाटे को कम करने की बात करता है लेकिन कोई भी निश्चित व्यय से छुटकारा पाने सॉलिड उपाय नहीं ढूंढता है। हमें अमेरिका या यूरोप में मंदी है या नहीं, इस बात पर ध्यान देने के बजाय भारतीय अर्थव्यवस्था को 8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत है।
क्या है ओपीएस और एनपीएस
गौरतलब है कि पुरानी पेंशन योजना के तहत सरकार द्वारा कर्मचारियों-पेंशनरों को पूरी पेंशन राशि दी जाती थी, इसे 1 अप्रैल 2004 से बंद कर दिया गया था। नई योजना के अनुसार, कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत पेंशन में योगदान करते हैं, जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत का योगदान करती है।