सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर, जारी हुए ये निर्देश, करना होगा पालन, देनी होगी जानकारी

दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 के तहत उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली 1999 लागू है। इसमें वर्ष 2004 में संशोधन करते हुए नियम पांच में यह व्यवस्था की गई है कि प्रत्येक सरकारी सेवक को नियुक्ति अधिकारी को स्वहस्ताक्षरित घोषणा पत्र देगा कि उसने अपने विवाह में दहेज ना लिया और न दिया।

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UP Employees News: उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के लिए काम की खबर है। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार अब दहेज लेने देने वाले सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों पर शिकंजा करने की तैयारी में है। इसके लिए राज्य सरकार ने सभी विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों जिनका विवाह 31 मार्च 2024 के बाद हुआ है, को दहेज न लेने और न देने का स्व घोषणा पत्र (शपथ पत्र) देने को कहा है।

विभाग ने मांगी ये जानकारी, देना होगा शपथ पत्र

  • दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, महिला कल्याण विभाग ने सभी विभागों के अधिकारियों कर्मचारियों से दहेज के संबंध में घोषणा पत्र से संबंधित सूचना अधिकारिक ई-मेल पर पर भेजने को कहा है।इसके साथ उस घोषणा पत्र का प्रारूप भी भेजा गया है जिसके आधार पर सरकारी सेवकों को पत्र देना है। इसमें नाम, राज्य, थाना, जिला, सर्किल की जानकारी देना होगी यह घोषणा उन्हें अपने नियुक्ति अधिकारी को देना होगा।
  • इधर, यूपी के बिजली कर्मचारियों भी दहेज नहीं ले सकेंगे, इसके लिए उन्हें नियुक्ति अधिकारी को शपथ पत्र देना होगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश में दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 के तहत यथासंशोधित नियमावली 2004 के प्रावधान के तहत आदेश जारी किए गए है। घोषणा पत्र की जानकारी महिला कल्याण निदेशालय को भी देनी होगी।

इस नियम के तहत मांगी गई है जानकारी

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 के तहत उत्तर प्रदेश दहेज प्रतिषेध नियमावली 1999 लागू है। इसमें वर्ष 2004 में संशोधन करते हुए नियम पांच में यह व्यवस्था की गई है कि प्रत्येक सरकारी सेवक अपने नियुक्ति अधिकारी को स्वहस्ताक्षरित घोषणा पत्र देगा कि उसने अपने विवाह में दहेज नहीं लिया और न दिया है। इसी के आधार पर अब महिला कल्याण विभाग ने सभी विभागों को एक बार फिर पत्र भेजा है और घोषणा पत्र देने को कहा है।


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Pooja Khodani

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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