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Mon, Dec 22, 2025

पुराने संसद भवन के अंतिम संबोधन में बोले पीएम मोदी-“आत्म-निर्भर भारत के संकल्प को पूरा करना हम सब का दायित्व, इसके लिए दल नहीं दिल चाहिए”

Written by:Atul Saxena
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पुराने संसद भवन के अंतिम संबोधन में बोले पीएम मोदी-“आत्म-निर्भर भारत के संकल्प को पूरा करना हम सब का दायित्व, इसके लिए दल नहीं दिल चाहिए”

PM Modi’s speech in Parliament : देश की आजादी के बाद से जिस संसद भवन में बैठकर देश का भविष्य तय होता था आज उस भवन का अंतिम दिन था, पीएम मोदी सहित सभी सांसद आज पुराने संसद भवन से नए संसद भवन में चले गए , सांसदों के जाने से पहले पुराने संसद भवन के सेन्ट्रल हॉल में विदाई समारोह रखा गया जिसमें पीएम मोदी ने करीब 40 मिनट की स्पीच दी, उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि ये सदन GST, तीन तलाक, धारा 370 जैसे कई महत्वपूर्ण और बड़े फैसलों के लिए हमेशा याद किया जायेगा उन्होंने प्रस्ताव दिया कि इस संसद भवन (पुराने ) का नाम संविधान सदन किया जाये।

दुनिया भारत के आत्म-निर्भर मॉडल की चर्चा  करती है 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले पांच साल के अंदर भारत के बदलाव की चर्चा पूरे विश्व में होने लगी, दुनिया भारत के आत्म निर्भर मॉडल की चर्चा करने लगी और कौन हिन्दुस्तानी नहीं चाहेगा कि हम डिफेन्स सेक्टर, एनर्जी सेक्टर में आत्म निर्भर हों, क्या ऐसा नहीं होना चाहिए? समय की मांग है ये हम सबका दायित्व है इसमें दल आड़े नहीं आते दिल चाहिए देश के लिए चाहिए।

G -20 में बोया बीज सदियों तय नई पीढ़ी को गर्व का अनुभव कराएगा 

पीएम मोदी ने जी 20 की तारीफ करते हुए कहा कि भारत ग्लोबल साउथ की आवाज बनकर उभरा है, ये जो बीज बोया गया है देश वासी देखेंगे कि आने वाले समय में वो विश्वास का ऐसा वटवृक्ष बनेगा कि उसके साए में आने वाली पीढ़ियाँ सदियों तक गर्व से सीना ताने खड़े रहेंगी।

छोटे कैनवास पर बड़ा चित्र नहीं बनाया जा सकता 

उन्होंने कहा कि हम जो भी रिफ़ॉर्म करेंगे उसमें इंडियन एस्प्रेशन सबसे प्राथमिकता में होना चाहिए , लेकिन मैं बहुत सोच समझकर कहना चाहता हूँ कि क्या कभी छोटे कैनवास पर कोई बड़ा चित्र बना सकता है? जैस छोटे कैनवास पर बड़ा चित्र नहीं बन सकता वैसे यदि हम भी अपने सोचने के कैनवास को बड़ा नहीं कर सकते तो भव्य भारत के चित्र को अंकित नहीं कर सकते।

मोदी ने पुराने संसद भवन को नाम दिया “संविधान सदन” 

पीएम मोदी ने कहा कि ये बहुत शुभ है कि हम आज गणेश चतुर्थी के दिन नए संसद भवन में बैठने जा रहे हैं, उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से निवेदन किया कि मैं एक प्रार्थना कर रहा हूँ एक सुझाव दे रहा हूँ कि जब हम नये भवन में जा रहे है तो इस पुराने भवन की गरिमा कम नहीं होनी चाहिए, इसे पुरानी पार्लियामेंट कहकर छोड़ दें ऐसा नहीं होना चाहिए , इसलिए यदि आप दोनों सहमति दे तो इसे संविधान सदन के रूप में जाना जाना चाहिए ।