Innovative Initiative by Newlywed Couple : आजकल शादियों में तामझाम और बेतरह खर्च की जो हवा चली है, उसने इसे एक भव्य आयोजन के साथ जैसे किसी सामाजिक प्रतिस्पर्धा में बदल दिया है। पहले जहाँ शादियाँ एक साधारण और पारिवारिक उत्सव हुआ करती थीं, वहीं अब यह एक बड़ा व्यवसाय का रूप ले चुका है। शादी का आयोजन अब सिर्फ परिवार और दोस्तों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समाज में प्रतिष्ठा और दिखावे का प्रतीक बन चुका है। बड़े-बड़े हॉल, लाखों रुपये की सजावट और फेंसी मेन्यू अब आम हो चले हैं। ऐसी शादियों के बीच अगर कोई ऐसी खबर सुनाई दे, जहां सादगी के साथ कोई प्रेरक सामाजिक पहल भी हो तो उसके बारे में बात की जानी चाहिए।
ऐसी ही एक खबर आई है उत्तर प्रदेश से जहां एक जोड़े ने अपनी शादी को कई बच्चों के जीवन संवारने का शुभ अवसर बना दिया। इन नवविवाहित युगल ने अपनी शादी पर 11 बच्चों को गोद लिया है। दूल्हा-दुल्हन के महंगे कपड़े, आभूषण, मेकअप आर्टिस्ट, फोटोग्राफर्स, वेडिंग प्लानर्स और केटरिंग सर्विसेज़ के बीच ये खबर हवा के उस झोंके की तरह आई है, जो बहुत सारे लोगों के जीवन को महकाने वाली है।
नवयुगल की अभिनव पहल
ये शादी हुई है कानपुर देहात जिले के सिकंदरा क्षेत्र में। दरअसल दुल्हन दीक्षा यादव एक स्वयंसेवी संस्था चलाती हैं और शुरु से ही उनकी इच्छा थी कि विवाह सिर्फ उनके नहीं, दूसरों के जीवन में भी खुशियां लाएं। इसीलिए उन्होंने शादी से पहले ही अपने होने वाले पति से इस बारे में बात की और फिर दोनों ने सहमति से अपनी शादी के मौके पर 11 गरीब बच्चों को गोद लिया है। अब इन बच्चों की शिक्षा का पूरा जिम्मा उठाने का संकल्प इस नए जोड़े ने लिया है। इस तरह इनकी शादी का अवसर ग्यारह बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित। करने का सुअवसर भी बन गया है।
दुल्हन दीक्षा यादव का सार्थक कदम
दीक्षा यादव शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण सहित कई मुद्दों पर काम करती हैं। उनका मानना है कि समाज के कमजोर वर्ग के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलनी चाहिए ताकि वे अपने भविष्य को संवार सकें। इसीलिए उन्होंने अपनी शादी पर इन बच्चों को गोद लेकर इनकी शिक्षा पूरी करने का संकल्प लिया है। उनके इस कदम से न सिर्फ इन बच्चों का जीवन बेहतर होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र को एक नया संदेश भी मिलेगा। इस खास मौके पर दूल्हा दुल्हन ने इन बच्चों के साथ तस्वीरें भी खिंचवाई। दीक्षा यादव ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि “हम हमेशा अपने परिवार और खुद के लिए सोचते हैं, लेकिन समाज में ऐसे भी लोग हैं जिन्हें बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है। हम लाखों रुपये खर्च करते हैं, लेकिन अगर हम उस खर्च का कुछ हिस्सा वंचित बच्चों की शिक्षा में लगा सकें, तो ये ऐेसे बच्चों का भविष्य बदल सकता है। इसलिए हमने यह कदम उठाया है।” अब आसपास के इलाकों में उनकी इस अभिनव पहल की बेहद सराहना की जा रही है।