उत्तराखंड में एक बार फिर हुआ हिमस्खलन, 2 की मौत, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

Sanjucta Pandit
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देहरादून, डेस्क रिपोर्ट | उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 12 दिन के भीतर एक बार फिर हिमस्खलन देखने को मिला। बता दें कि द्रौपदी का डांडा नाम की जगह पर बड़ा बर्फ का टुकड़ा पिघल कर नीचे की ओर गिरा। जहां नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) के लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है और जिस वक्त यह घटना हुई उस वक्त मौके पर 28 लोग पर्वतारोहण की ट्रेनिंग ले रहे थे। जिनमें से अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है, बाकि लोगों का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी। वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जानकारी देते हुए बताया है कि, “उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात कर रेस्क्यू ऑपरेशन में तेजी लाने के लिए सेना की मदद मांगी है।” बता दें कि SDRF की टीम मौके पर पहुंच चुकी है।

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उत्तराखंड में यह 12 दिनों के भीतर तीसरी घटना है। इससे पहले 1 अक्टूबर को केदारनाथ मंदिर के पास हिमस्खलन की घटना घटी थी। हालांकि, इससे मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर कमेटी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने सूचना दी थी कि इस घटना में किसी प्रकार का कोई हताहत नहीं हुआ है। मंदिर में दर्शन करने आए सैलानियों ने उस घटना को अपने कैमरे में कैद कर लिया था और इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर दिया था जो कि खुब तेजी से वायरल हुआ था। इससे पहले 23 सितंबर को मंदिर से करीब 5 किमी पीछे बने चौराबाड़ी ग्लेशियर में हिमस्खलन हुआ था। हालांकि, दोनों बार ही किसी प्रकार की कोई हानि नहीं हुई थी लेकिन बार-बार ऐसी घटना का होना चिंता का विषय है। ग्लेशियर पिघलने की मुख्य वजह वातावरण में बदलाव है।

दरअसल, पृथ्वी का तापमान बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। जिससे ग्लेशियर धीरे-धीरे पिघल रहा है। जो कि पृथ्वी के विनाश का संकेत है। बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ की चट्टाने पिघल रही है। जिससे धरती पर पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण बाढ़, सुनामी, चक्रवात जैसी बड़ी आपदाएं हो रही है। आए-दिन कहीं-ना-कहीं प्राकृतिक आपदाएं अपना कहर मचा रही है।

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जैसा कि हम सभी जानते हैं धरती पर भूमि से पानी की मात्रा ज्यादा है। बता दें कि धरती के ओजोन परत पर छिद्र का होने से बर्फ की चट्टानें तेजी से पिघल रहे हैं साथ ही, कार्बनडाइऑक्साइड की अधिक मात्रा से वातावरण के तापमान में बढ़ोत्तरी जारी है। जिसके कारण यह ग्लेशियर पिघल रहे हैं। जो सभी के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऐसे में अगर बर्फ की चट्टानें लगातार पिघलती रही तो आने वाले समय में पृथ्वी पूरी तरह से जलमग्न हो जाएगा। जिसका नजारा हम सभी देख ही रहे हैं। जिसे रोकने के लिए वैज्ञानिक रात-दिन एक कर चुके हैं।

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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