Fri, Dec 26, 2025

निर्मला तोदी के कहानी और कविता संग्रह का लोकार्पण, सह परिचर्चा भी आयोजित

Written by:Shruty Kushwaha
Published:
Last Updated:
निर्मला तोदी के कहानी और कविता संग्रह का लोकार्पण, सह परिचर्चा भी आयोजित

Inauguration of writer Nirmala Todi story and poetry book : सुपरिचित कवयित्री एवं कथाकार निर्मला तोदी के कहानी संग्रह ‘रिश्तों के शहर’ एवं कविता संग्रह ‘यह यात्रा मेरी है’ का लोकार्पण सह परिचर्चा का आयोजन सियालदह कोलकाता के मंथन सभागार में किया गया। दोनों पुस्तकों का लोकार्पण रवि भूषण, डॉ शंभुनाथ, गोपेश्वर सिंह, श्रीप्रकाश शुक्ल, वेदरमण, यतीश कुमार, गीता दुबे, निशांत, किशन तोदी और रेनु छोटारिया के द्वारा सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत नीलांबर के अध्यक्ष यतीश कुमार के स्वागत वक्तव्य के साथ हुई।

पुस्तक लोकार्पण के उपरांत कहानी संग्रह ‘रिश्तों के सफर’ पर बोलते हुए सुपरिचित लेखिका गीता दुबे ने कहा कि स्त्री लेखन एवं पुरुष लेखन अलग-अलग होता है। स्त्री के पास अपने अनुभव और अपने ‘टूल्स’ होते हैं। ‘रिश्तों के शहर’ की कहानियों में आधुनिक जीवन, रिश्ते और परिवार की विडंबनाओं को हम देख पाते हैं।  सुपरिचित आलोचक वेदरमण ने किताब के विभिन्न पक्षों पर बात रखते हुए कहा कि निर्मला तोदी ने कथा एवं कविता दोनों में अपनी पहचान बनाई है। कोई कथा हमें वहाँ ले जाए जहाँ पहले कोई और न ले गई हो तो यह उस कहानी की सफलता है। निर्मला तोदी की कुछ कहानियों में यह गुण है।  प्रतिष्ठित आलोचक रवि भूषण ने कहा कि निर्मला तोदी की कहानियों में दुर्लभ किस्म के संकेत हैं जो उन्हें संभावनाशील कथाकार बनाते हैं।  इस सत्र का संचालन सुपरिचित कवि निशांत ने किया। इस सत्र का एक मुख्य आकर्षण था संस्था की उपसचिव स्मिता गोयल द्वारा  इस संग्रह से एक कहानी के अंश का प्रभावी पाठ।

इस समारोह के दूसरे सत्र की शुरुआत नीलांबर की टीम द्वारा कविता कोलाज की प्रस्तुति के साथ हुई। इसमें हावड़ा नवज्योति के बच्चों ने सहयोग किया। इसमें हिस्सा लेने वाले कलाकारों में शामिल थे  अपराजिता विनय, आरती सेठ, तनिष्का सेन गुप्ता, सिमरन समीम, सरिता शर्मा, लक्ष्मी सिंह, ज्योति भारती, निशु जैसवाल, वैशाली साव एवं प्राची सिंह। इस कोलाज का निर्देशन किया था दीपक ठाकुर ने।

निर्मला तोदी के कविता संग्रह ‘यह यात्रा मेरी है’ पर आयोजित परिचर्चा-सत्र में सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ शंभुनाथ ने कहा कि कवियों से ही साहित्य जगत हरा-भरा है। निर्मला तोदी की कविताओं के केंद्र में प्रकृति, स्मृति और संबंध हैं। उन्होंने आगे कहा कि सत्ता जिन सच्चाइयों को बहिष्कृत करती हैं, वे कविता में सांस लेती हैं। सुपरिचित कवि यतीश कुमार ने निर्मला तोदी की कविताओं पर कहा कि कविता में खिड़की का बार-बार आना कोई साधारण घटना नहीं है। बंद खिड़की खोलने की बात कहना बग़ावत करना है, जिस टूल की ज़रूरत समाज के हर अपेक्षित वर्ग को है। प्रतिष्ठित कवि एवं आलोचक श्रीप्रकाश शुक्ल ने संग्रह पर बात रखते हुए कहा कि कवि होना एक जिम्मेदार नागरिक होना है। निर्मला तोदी की कविताओं में संवेदनशीलता और स्त्री जीवन का हाहाकार है। विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित सुप्रतिष्ठित आलोचक गोपेश्वर सिंह ने निर्मला तोदी की रचनाओं की प्रशंसा करते हुए उन्हें हिंदी की एक संभावनाशील कथाकार बताया।

अपने लेखकीय वक्तव्य में निर्मला तोदी ने कहा कि सिर्फ सहन करते रहना हमारी आत्मशक्ति और ‘आइडेंटिटी’ को खत्म कर देती है। मेरी कहानियों की नायिकाएं उस सीमा रेखा को अच्छी तरह पहचानती हैं। इस सत्र का संचालन युवा कवयित्री रचना सरन ने किया। नीलांबर के उपसचिव आनंद गुप्ता द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम का समापन हुआ। कार्यक्रम के तकनीकी पक्ष में मनोज झा, विशाल पांडेय और अभिषेक पांडेय ने महत्वपूर्ण सहयोग किया। समारोह में शहर के साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को जीवंत बनाया।