भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों की बहाली सितंबर से शुरू होने की संभावना है, क्योंकि दोनों देश वर्षों से चली आ रही तनावपूर्ण राजनीतिक संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इंडिगो को पहले ही चीन के लिए उड़ानें तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। भारतीय सरकार ने देश की एयरलाइनों से चीन के लिए उड़ानें कम समय में शुरू करने की तैयारी करने को कहा है और आधिकारिक घोषणा इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान होने की उम्मीद है।
कोविड-19 महामारी के फैलने के बाद भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें बंद कर दी गई थीं, जिससे यात्री हांगकांग या सिंगापुर जैसे हब्स से होकर यात्रा करने को मजबूर हो गए। जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सीमा पर झड़पों से दोनों एशियाई महाशक्तियों के राजनयिक संबंध निचले स्तर पर पहुंच गए, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों और कम से कम चार चीनी सैनिकों की मौत हुई। इन झड़पों के बाद नई दिल्ली ने बीजिंग के खिलाफ कई कदम उठाए, जिसमें 59 चीनी मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध शामिल था जिसे चीन ने भेदभावपूर्ण बताते हुए विश्व व्यापार संगठन में उठाने की धमकी दी।
पर्यटक वीजा बहाल करने की घोषणा
पिछले महीने भारत ने चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा बहाल करने की घोषणा की, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध के बाद संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। निलंबन से पहले एयर इंडिया और इंडिगो जैसी भारतीय एयरलाइनों सहित चीनी एयरलाइनों जैसे एयर चाइना, चाइना सदर्न और चाइना ईस्टर्न द्वारा बीजिंग, शंघाई, ग्वांगझू और कुनमिंग जैसे शहरों को नई दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से जोड़ते हुए सप्ताह में दर्जनों सीधी उड़ानें संचालित की जाती थीं। जनवरी में दोनों देशों ने सैद्धांतिक रूप से उड़ानें बहाल करने पर सहमति जताई। मीडिया और थिंक टैंक्स के बीच लोगों के संपर्क को बढ़ावा देने का फैसला किया। साथ ही, 2020 से रुकी कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर शुरू करने का निर्णय लिया।
चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात वर्षों में पहली बार चीन की यात्रा पर जा सकते हैं, जहां वे 31 अगस्त और 1 सितंबर को तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। चीन ने पीएम मोदी की यात्रा का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि यह सम्मेलन एकजुटता और सफलता का प्रतीक बनेगा। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ बढ़ाने की पृष्ठभूमि में आया है, जहां ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भारत के खिलाफ टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया। चीन ने भारत का समर्थन करते हुए ट्रंप को धौंसबाज बताया और नई दिल्ली से अमेरिकी व्यापार दबाव के आगे न झुकने की अपील की, जबकि ट्रंप ने चीन पर टैरिफ बढ़ाने की योजना को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया।





