भारत ने अपने अंतरिक्ष अनुसंधान में एक और नई उपलब्धि हासिल कर ली है। दरअसल भारत ने पहला पुन: उपयोगी हाइब्रिड रॉकेट RHUMI 1 (Reusable Hybrid Unmanned Mission Initiative) सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। जानकारी के अनुसार RHUMI 1 को तमिलनाडु के चेंगलपेट जिले के थिरुविडंधई तटीय गांव से शनिवार को लॉन्च किया गया है। वहीं इस अत्याधुनिक रॉकेट का निर्माण और सफल प्रक्षेपण तमिलनाडु के एक स्टार्टअप की कड़ी मेहनत का परिणाम है।
दरअसल RHUMI 1 एक हाइब्रिड रॉकेट है, जो इसे पारंपरिक रॉकेट्स से अलग बनाता है। जानकारी के मुताबिक यह रॉकेट ठोस और तरल ईंधनों के संयोजन का उपयोग करता है, जिससे इसकी स्थिरता और दक्षता बढ़ जाती है। बता दें कि इसकी एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह पुन: उपयोगी रॉकेट है, यानी इसे कई बार लॉन्च किया जा सकता है। दरअसल इस पुन: उपयोगी डिजाइन के कारण, लॉन्चिंग की लागत में काफी कमी आएगी।
जानिए इसकी क्या है खासियत
एडजस्टेबल लॉन्च एंगल: दरअसल RHUMI 1 की एक और खास विशेषता इसका एडजस्टेबल लॉन्च एंगल है। जानकारी के अनुसार इसे 0 से 120 डिग्री के बीच किसी भी कोण पर सेट किया जा सकता है, जिससे वैज्ञानिकों को उड़ान के मार्ग पर सटीक नियंत्रण प्राप्त होता है और डेटा संग्रह की गुणवत्ता में और वृद्धि होती है।
जलवायु परिवर्तन: इसके साथ ही यह रॉकेट पूरी तरह से पायरोटेक्निक-मुक्त है और इसमें कोई टीएनटी का उपयोग नहीं किया गया है, जिसके चलते यह पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनता है। जानकारी के अनुसार इसमें एक सामान्य ईंधन आधारित हाइब्रिड मोटर और इलेक्ट्रॉनिक रूप से संचालित पैराशूट डिप्लॉयर शामिल हैं। यह डिजाइन ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर मूल्यवान डेटा संग्रहण को सुनिश्चित करता है।
उपग्रह प्रक्षेपण क्षमता: RHUMI 1 रॉकेट को विशेष रूप से तीन क्यूब सैटेलाइट और 50 पीको सैटेलाइट को अंतरिक्ष में प्रक्षिप्त करने के लिए तैयार किया गया है। ये सैटेलाइट्स पृथ्वी की कक्षा में जाकर विविध वैज्ञानिक और पर्यावरणीय डेटा एकत्र करेंगे, जो भविष्य में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
जानकारी दे दें कि मिशन RHUMI की अगुवाई स्पेस जोन के संस्थापक आनंद मेगालिंगम ने की है, जो इस परियोजना के प्रमुख विचारक और प्रेरक रहे हैं। वहीं इस मिशन को सफल बनाने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सैटेलाइट सेंटर के पूर्व निदेशक डॉ. माइलस्वामी अन्नादुरई का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव ने इस मिशन की सफलता में एक अहम भूमिका निभाई है।