Tue, Dec 30, 2025

भारत की आबादी.. बस इतने साल में चीन से हो जाएगी डबल, रिसर्च में चौंकाने वाला आंकड़ा

Written by:Mini Pandey
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भारत के पास अवसर भी हैं। महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी बढ़ाकर इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है।
भारत की आबादी.. बस इतने साल में चीन से हो जाएगी डबल, रिसर्च में चौंकाने वाला आंकड़ा

भारत की जनसंख्या में आने वाले दशकों में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। मैकिन्से और संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2061 तक भारत की जनसंख्या 1.7 अरब के शिखर पर पहुंचेगी. जिसके बाद यह धीरे-धीरे कम होने लगेगी। फिर भी भारत सदी के अंत तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बना रहेगा। यूएन के अनुसार 2100 तक भारत की जनसंख्या 1.5 अरब होगी जो उस समय चीन की जनसंख्या (63.3 करोड़) से दोगुनी होगी।

दरअसल भारत में प्रजनन दर वर्तमान में 1.98 बच्चे प्रति महिला है. जो 2.1 के प्रतिस्थापन दर से कम है। इस वजह से जनसंख्या वृद्धि धीमी हो रही है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि 2054 तक भारत की जनसंख्या 1.69 अरब होगी और 2061 में 1.7 अरब के शिखर के बाद 2100 तक यह 1.5 अरब तक कम हो जाएगी। दूसरी ओर चीन की जनसंख्या 2024 में 1.41 अरब है. जो 2054 तक 1.21 अरब और 2100 तक 63.3 करोड़ हो जाएगी। चीन की बेहद कम प्रजनन दर (1.14 बच्चे प्रति महिला) इस गिरावट का मुख्य कारण है।

सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती बुजुर्ग आबादी

भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती बुजुर्ग आबादी है। मैकिन्से की रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक प्रत्येक बुजुर्ग के लिए केवल 4.6 कामकाजी लोग होंगे, जो वर्तमान में 10 हैं। 2100 तक यह अनुपात 1.9 तक गिर जाएगा, जिससे सरकार और परिवारों पर बुजुर्गों की देखभाल का बोझ बढ़ेगा। साथ ही, युवा आबादी का आर्थिक योगदान भी कम हो रहा है। 1997 से 2023 तक युवाओं ने प्रति व्यक्ति जीडीपी वृद्धि में 0.7% का योगदान दिया, लेकिन 2050 तक यह केवल 0.2% रह जाएगा। यह आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकता है।

कैसे भारत के पास बड़ा मौका

भारत के पास अवसर भी हैं। महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी बढ़ाकर इन चुनौतियों से निपटा जा सकता है। वर्तमान में 20-49 आयु वर्ग की केवल 29% महिलाएं श्रम शक्ति में शामिल हैं, जबकि अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में यह आंकड़ा 50-70% है। महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से न केवल आर्थिक विकास को गति मिलेगी, बल्कि बुजुर्ग आबादी की चुनौती से भी निपटा जा सकेगा। इसके अलावा, भारत का वैश्विक उपभोग में हिस्सा 2024 के 9% से बढ़कर 2050 तक 16% हो जाएगा जो भारत के बढ़ते वैश्विक महत्व को दर्शाता है।