Indian Railways: मिजोरम में है ‘इकलौता’ रेलवे स्टेशन, वर्षों से लोग कर रहे दूसरे स्टेशन का इंतजार

Sanjucta Pandit
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Indian Railways: भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक है। भारतीय रेल नेटवर्क में कुल लंबाई 67,415 किलोमीटर है और इसमें 7,349 स्टेशन हैं। भारतीय रेलवे अन्य देशों के रेलवे नेटवर्कों से अधिक से अधिक लोगों को यात्रा कराता है और विभिन्न शहरों और गांवों को जोड़ता है। इसलिए भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया में अपनी महत्तव रखता है। साथ ही, यह भी महत्व रखता है कि हमारे देश में एक-से-बढ़कर-एक रेलवे स्टेशनों के नाम होते हैं। जो आपको हंसने पर मजबूर कर देते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको भारतीय रेलवे के बारे में एक ऐसी बात बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगें।

Indian Railways: मिजोरम में है 'इकलौता' रेलवे स्टेशन, वर्षों से लोग कर रहे दूसरे स्टेशन का इंतजार

मात्र एक रेलवे स्टेशन

जी हां, आज हम एक ऐसे राज्य की बात करेंगे जहां मात्र एक रेलवे स्टेशन हैं। यहां के लोगों को कहीं भी जाने के लिए इसी स्टेशन आना पड़ता है। यहा राज्य कोई और नहीं बल्कि भारत का खुबसुरत पूर्वोत्तर प्रदेश मिजोरम है। मिजोरम के बइराबी रेलवे स्टेशन पर सिर्फ एक ही प्लेटफॉर्म होता है जिससे यात्री अपनी यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए विराम लगा सकते हैं। इस स्टेशन से कुछ ट्रेनें चलती हैं जैसे कि विवेक एक्सप्रेस जो दिल्ली से चलती है और अन्य कुछ जो मिजोरम के अन्य शहरों जैसे कि आइजॉल और सिलचर से जुड़ी हैं। फिर भी बइराबी रेलवे स्टेशन को यह महत्वपूर्ण बनाता है कि यह भारत का सबसे कम यात्रिक स्थलों में से एक है।

Indian Railways: मिजोरम में है 'इकलौता' रेलवे स्टेशन, वर्षों से लोग कर रहे दूसरे स्टेशन का इंतजार

बइराबी रेलवे स्टेशन का कनेक्शन

बइराबी रेलवे स्टेशन पर बेसिक सुविधाएं हैं जैसे कि पानी की टंकी, टिकट काउंटर और इंटरकम सिस्टम होता है। इस स्टेशन में कोई भी खाद्य सुविधा नहीं है और इसके पास कोई रेस्टोरेंट भी नहीं है लेकिन रेलवे स्टेशन के नजदीकी इलाकों में होटल और रेस्टोरेंट उपलब्ध हैं। इसका रिडेवलपमेंट 2016 में शुरू किया गया था। इससे पहले, यह स्टेशन और भी छोटा था। इस स्टेशन पर ट्रेनों की आवाजाही के लिए चार ट्रैक हैं जो सभी अधिकतम तापमानों में अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं। कथाकल जंक्शन रेलवे स्टेशन से बइराबी रेलवे स्टेशन का कनेक्शन है और इससे आगे रेलवे लाइन का निर्माण होने की संभावना है। इससे मिजोरम के लोगों को और भी बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।

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योजनाएं

हालांकि, दूसरे राज्यों की तुलना में मिजोरम में रेलवे लाइनों की कमी है लेकिन इसे विकसित करने के लिए सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। मिजोरम में अभी भी कुछ रेलवे परियोजनाओं के विकास की योजनाएं चल रही हैं। उनमें से एक परियोजना है सिलचर-तुइपुई रेलवे परियोजना जो उत्तर मिजोरम के जिले सिलचर से मणिपुर के तुइपुई जिले तक जाने वाली है। इस परियोजना के तहत, कुछ नए रेलवे स्टेशन बनाए जाने की योजना है। इसके अलावा, एक और परियोजना है जो बिजौली-जिरिबाम रेलवे लाइन के मध्य में एक नया स्टेशन बनाने के लिए चल रही है। इस स्टेशन के निर्माण से, मिजोरम के लोगों को रेलवे सुविधाओं में अधिक सुविधा मिल सकती है।

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भारतीय रेल का इतिहास

भारतीय रेल का इतिहास 1853 में शुरू हुआ था, जब पहली बार बॉम्बे से ठाणे तक की 34 किलोमीटर लंबी रेलगाड़ी लाइन शुरू हुई थी। उस समय भारत की राजधानी कोलकाता में भी एक छोटी सी रेलगाड़ी लाइन थी जो साल 1854 में शुरू हुई थी जबकि भारतीय रेलवे की दूसरी लंबी रेल लाइन 1854 में मुंबई से कल्याण तक शुरू हुई थी। वहीं, भारतीय रेलवे की तीसरी लंबी रेल लाइन इलाहाबाद (प्रयागराज, बदला हुआ नाम) से कानपुर तक 1859 में शुरू हुई थी। भारतीय रेल के अनुसार, लगभग 14 लाख करोड़ रुपये की मूल्य के सामान वस्तुएं और 23 करोड़ यात्रियों को रोजगार, वित्त और आर्थिक विकास के लिए संभाला जाता है। भारतीय रेल का संचालन भारत सरकार के द्वारा किया जाता है और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। भारतीय रेल को विश्व स्तर पर मान्यता भी मिली हुई है।

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं अलग-अलग जानकारियों पर आधारित हैं। MP Breaking News इनकी पुष्टि नहीं करता है।)


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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