नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो पिछले पाँच दिनों से एक बड़े ऑपरेशनल संकट से जूझ रही है, जिसके चलते 2000 से अधिक उड़ानें रद्द हो चुकी हैं। नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा पायलटों के लिए लागू किए गए नए नियमों के बाद एयरलाइन की व्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतर गई। इस अफरातफरी के बीच तीन लाख से ज्यादा यात्री प्रभावित हुए, जिसके बाद सरकार को दखल देना पड़ा और DGCA को अपने ही कुछ नियम अस्थायी रूप से रोकने पड़े।
यह संकट 2 दिसंबर को शुरू हुआ, जब DGCA ने पायलटों के लिए उड़ान और ड्यूटी समय सीमाओं (FDTL) से जुड़े नए नियम लागू किए। इन नियमों का उद्देश्य पायलटों को पर्याप्त आराम देना था, जिसके तहत रात की ड्यूटी के घंटे सीमित किए गए और आराम की अवधि बढ़ाई गई। लेकिन इन बदलावों का सीधा असर इंडिगो के नाइट शेड्यूल पर पड़ा और एयरलाइन का रोस्टर मैनेजमेंट पूरी तरह विफल हो गया।
कैसे बिगड़े हालात: 5 दिनों का घटनाक्रम
संकट की शुरुआत 3 दिसंबर को हुई जब पायलटों की कमी के कारण इंडिगो को 280 से ज्यादा उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। अगले ही दिन दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर सैकड़ों उड़ानें घंटों की देरी से चलीं और रद्द उड़ानों का आंकड़ा 850 पार कर गया। 6 दिसंबर तक स्थिति एक ‘नेटवर्क लेवल डिसरप्शन’ में तब्दील हो गई, और कुल रद्द उड़ानों की संख्या 2000 से ऊपर पहुंच गई। इस दौरान 2700 से ज्यादा उड़ानें देरी से चलीं, जिससे लगभग 3 लाख यात्रियों की यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं।
सरकार का सख्त रुख और DGCA का यू-टर्न
यात्रियों की बढ़ती शिकायतों और हवाई किराए में बेतहाशा बढ़ोतरी को देखते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने हस्तक्षेप किया। मंत्रालय ने इंडिगो को 7 दिसंबर तक सभी लंबित रिफंड क्लियर करने का सख्त निर्देश दिया। साथ ही, यात्रियों से कोई अतिरिक्त शुल्क न लेने और मुफ्त री-शेड्यूलिंग की सुविधा देना अनिवार्य कर दिया। सरकार ने प्रमुख रूट्स पर हवाई किराए पर कैप भी लगा दी ताकि एयरलाइंस मनमाने दाम न वसूल सकें। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए DGCA ने अपने नए नियमों के दो प्रमुख प्रावधानों—नाइट ड्यूटी ओवरलैप और एक्सटेंडेड रेस्ट—पर अस्थायी रोक लगा दी है। नियामक ने कहा कि एयरलाइन का संचालन स्थिर होते ही ये नियम फिर से लागू किए जाएंगे।
हवाई किराए में लगी आग, रेलवे बना सहारा
इंडिगो संकट का सीधा असर हवाई किराए पर पड़ा। दिल्ली-मुंबई रूट पर किराया 28%, दिल्ली-बेंगलुरु पर 32% और बेंगलुरु-कोलकाता रूट पर 40% तक बढ़ गया। इस अप्रत्याशित बढ़ोतरी को नियंत्रित करने के लिए सरकार को निगरानी करनी पड़ी। वहीं, हवाई यात्रा में हो रही दिक्कतों को देखते हुए भारतीय रेलवे ने मोर्चा संभाला। रेलवे ने राजधानी, शताब्दी और वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों में 22 अतिरिक्त कोच जोड़े और 7 लोकप्रिय रूट्स पर रिजर्वेशन चार्ट दोबारा खोले। इस दौरान ट्रेन टिकटों की मांग में 18-25% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
इंडिगो की तैयारी पर उठे सवाल
इस पूरे मामले पर पायलट यूनियन ने इंडिगो के मैनेजमेंट पर सवाल उठाए हैं। यूनियन का कहना है कि DGCA के नियमों की जानकारी पहले से थी और एयरलाइन को एक बैकअप रोस्टर तैयार रखना चाहिए था।
“यह अचानक आया संकट नहीं, बल्कि प्लानिंग की कमी का नतीजा है।” — पायलट यूनियन
वहीं, इंडिगो ने एक बयान जारी कर कहा कि वह DGCA और मंत्रालय के साथ मिलकर संचालन को सामान्य करने के लिए काम कर रही है। एयरलाइन ने यात्रियों को मुफ्त री-शेड्यूलिंग और रिफंड का आश्वासन दिया है। फिलहाल, अगले 48 से 72 घंटे इंडिगो के ऑपरेशन को पूरी तरह सामान्य करने के लिए बेहद अहम माने जा रहे हैं।





