देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo इन दिनों एक बड़े संकट से गुज़र रही है। लगातार सातवें दिन भी इंडिगो की उड़ानें रद्द हो रही हैं, जिससे लाखों हवाई यात्री देश के अलग-अलग हवाई अड्डों पर फंसे हुए हैं। लोग अपने ज़रूरी कामों के लिए, या तो घर जाने के लिए, या फिर बिज़नेस मीटिंग के लिए, बहुत परेशान हो रहे हैं। यह मामला इतना गंभीर हो गया कि कुछ लोगों ने इसमें सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की गुहार लगाई। उनकी मांग थी कि कोर्ट इस मामले पर तत्काल सुनवाई करे और यात्रियों को राहत दिलाए।
लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तुरंत सुनवाई करने से मना कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि यह मामला बहुत गंभीर है, लेकिन भारत सरकार ने खुद इस पर ध्यान देना शुरू कर दिया है और कार्रवाई भी कर रही है। कोर्ट के इस फैसले के बाद, अब सभी की निगाहें सरकार और इंडिगो संकट से निपटने के उनके अगले कदम पर टिकी हैं। इस बीच, दिल्ली से लेकर बेंगलुरु तक, हर बड़े हवाई अड्डे पर यात्रियों का इंतज़ार लंबा होता जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से क्यों किया इनकार?
सीजेआई सूर्यकांत ने साफ़ कहा, हम जानते हैं कि लाखों लोग फंसे हुए हैं। हो सकता है कि उनमें से कुछ लोगों का बहुत जरूरी काम हो और वे वह काम नहीं कर पा रहे हों। हालांकि, इसके बाद भी सीजेआई ने तुरंत सुनवाई से मना कर दिया। उन्होंने कहा, भारत सरकार ने इस मुद्दे का संज्ञान लिया है। सही समय पर कदम उठाया गया है। कोर्ट का मानना था कि जब सरकार खुद इस मामले को देख रही है और कदम उठा रही है, तो अभी कोर्ट को तुरंत बीच में आने की कोई अर्जेन्सी नज़र नहीं आती है।
देशभर के हवाई अड्डों पर इंडिगो संकट का बड़ा असर
इस संकट का सबसे ज़्यादा असर दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर पड़ा, जहाँ सबसे ज़्यादा 134 उड़ानें रद्द हुईं, जिससे यहाँ भारी भीड़ और सबसे ज़्यादा परेशानी देखने को मिली। बेंगलुरु के हवाई अड्डे पर भी 127 उड़ानें रद्द हुईं, जिससे यहाँ नौकरी या बिज़नेस के लिए यात्रा करने वाले लोग बहुत परेशान हुए। हैदराबाद में 77 और अहमदाबाद में भी 18 उड़ानें रद्द हुईं। साफ़ है कि इंडिगो की इस समस्या ने पूरे देश के हवाई यात्रियों को फंसा दिया है और हर जगह लोगों को मुश्किल हो रही है।





