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Fri, Dec 19, 2025

PM मोदी और RSS पर कार्टून बनाना पड़ा महंगा, इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी राहत!

Written by:Ronak Namdev
Published:
कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय ने 2021 में प्रधानमंत्री मोदी और RSS को लेकर एक कार्टून बनाया था। जिसे लेकर उनके ऊपर FIR दर्ज की गई , उनकी जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सामने आया, चलिए जानते हैं पूरा मामला
PM मोदी और RSS पर कार्टून बनाना पड़ा महंगा, इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी राहत!

हेमंत मालवीय जो की इंदौर के एक कार्टूनिस्ट है उन्होंने कोरोना काल के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और RSS को लेकर एक कार्टून बनाया, जिसे उन्होंने पब्लिक डोमेन में पोस्ट किया था उनका कहना है की उन्होंने यह पब्लिक के लिए बनाया था ताकि लोग इसे देख कर अपनी राय के साथ इस्तेमाल कर सके।

लेकिन फिर मई 2025 में यूजर्स ने इस पर कमेंट की और फिर विवाद खड़ा हो गया। इस कार्टून में आरएसएस यूनिफॉर्म में एक व्यक्ति झुका हुआ है और इसके साथ ही पीएम मोदी स्टेथोस्कोप जो कि डॉक्टरों द्वारा उसे किया जाता है उसके साथ एक इंजेक्शन लिए दिखाएं गए हैं इस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की के कार्यकर्ताओ के द्वारा शिकायत पर उनके खिलाफ धारा 196 (दुश्मनी भड़काना), 299 (धार्मिक भावनाएं करना) और 302 (धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना) आदि के तहत केस दर्ज किया गया। इसके बाद 3 जुलाई को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उनकी जमानत को खारिज करते हुए यह बोला कि आपके इस कार्टून ने अभिव्यक्ति की आजादी की सीमा लांघ दी है।

क्या बोला सुप्रीम कोर्ट

14 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया ने बोला कि “इनमें अभी भी आपमें समझदारी नहीं आई है यह कार्टून इन्फ्लेमेटरी है” इसके हेमंत मालवीय के वकील वृंदा ग्रोवर ने यह दलील दी की यह पोस्ट अब डिलीट हो चुकी है और उनके क्लाइंट की उम्र भी 50 से ज्यादा है इसलिए उन पर कोई अपराध नहीं बनता और इसके बाद उन्होंने कोर्ट से उनकी जमानत पर राहत देने की भी मांग कर दी। फ़िलहाल इसे लेकर सुनवाई अभी जारी है और अगली सुनवाई 15 जुलाई 2025 मंगलवार को की जाएगी।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का फैसला

जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने 3 जुलाई 2025 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में मालवीय द्वारा लगाई गई जमानत याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि इसमें प्रधानमंत्री और आरएसएस को गलत तरीके से दिखाया गया है और यहां तक की भगवान शिव पर की गई कमेंट ने हिंदुओं की भावनाओं को भी ठेस पहुंचा है जिसे कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी का गलत उपयोग बताया।