इस तरह से आप गरीबी को खत्म नहीं कर सकते, मुफ्त की चीजें दिए जाने पर बोले इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति

इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। वहीं, अब उन्होंने एक नया बयान दिया है, जो चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल, उन्होंने मुफ्त की चीजें दिए जाने और उनकी लागत पर चल रही बहस में बड़ी बात कही है।

Rishabh Namdev
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इस समय देश में मुफ्त में चीजें दिए जाने या उनकी लागत पर बहस छिड़ी हुई है। इसी कड़ी में इंफोसिस के सह-संस्थापक एन. आर. नारायण मूर्ति ने भी इसे लेकर बड़ी बात कही। दरअसल, नारायण मूर्ति ने कहा कि मुफ्त की चीजों से गरीबी दूर नहीं की जा सकती, बल्कि यह इनोवेटिव उद्यमियों द्वारा रोजगार सृजन से समाप्त होगी। दरअसल, नारायण मूर्ति Tycoon Mumbai 2025 कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने उद्यमियों से अधिक कंपनियां और कारोबार बनाने पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।

नारायण मूर्ति सोशल मीडिया पर अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। बता दें कि नारायण मूर्ति ने हफ्ते में 70 घंटे काम करने को लेकर भी बयान दिया था, जिसके बाद देश में इस बयान पर बड़ी बहस छिड़ गई थी। दरअसल, बड़े-बड़े कारोबारियों ने इस पर अपनी-अपनी राय रखी थी। वहीं, अब नारायण मूर्ति का नया बयान एक बार फिर चर्चा में आ गया है।

मुफ्त उपहार देकर गरीबी को खत्म नहीं कर सकते

दरअसल, गरीबों को लेकर बोलते हुए नारायण मूर्ति ने कहा, “अगर हम इनोवेटिव इंटरप्राइजेज बनाने में कामयाब हो जाते हैं, तो गरीबी धूप वाली सुबह की ओस की तरह गायब हो जाएगी। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप में से प्रत्येक व्यक्ति सैकड़ों-हजारों नौकरियां पैदा करने वाला है और इस तरह ही आप गरीबी दूर करेंगे। आप मुफ्त उपहार देकर गरीबी को खत्म नहीं कर सकते। कोई भी देश इसमें सफल नहीं हुआ है।” हालांकि, नारायण मूर्ति का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में मुफ्त में चीजें बांटे जाने और उनकी लागत पर बहस छिड़ी हुई है।

छह महीने के अंत में सर्वेक्षण करना चाहिए

इस दौरान, नारायण मूर्ति ने यह भी कहा कि उन्हें राजनीति या शासन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, मगर उन्होंने नीतिगत ढांचे के नजरिए से कुछ सिफारिशें रखी हैं। नारायण मूर्ति का कहना है कि लाभ के बदले स्थिति में सुधार का आकलन करना भी जरूरी है। दरअसल, प्रति माह 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने के उदाहरण को लेकर नारायण मूर्ति ने कहा कि “ऐसे राज्यों में घरों में छह महीने के अंत में सर्वेक्षण करना चाहिए और यह पता लगाना चाहिए कि इससे बच्चे अधिक पढ़ रहे हैं या नहीं।” वहीं, नारायण मूर्ति का कहना है कि आज के समय में अधिकांश समाधान पुराने कार्यक्रमों की मूर्खतापूर्ण नकल हैं, जिन्हें भविष्य के काम के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। इनमें मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग की क्षमताएं शामिल होती हैं।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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