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Mon, Dec 8, 2025

‘वंदे मातरम के साथ हुई नाइंसाफी..’ सदन में गरजे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस पर बोला हमला, पढें पूरी खबर

Written by:Shyam Dwivedi
लोकसभा शीतकालीन सत्र के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, जिस धरती पर वंदे मातरम की रचना हुई, उसी धरती पर 1937 में कांग्रेस ने इस गीत को बिगाड़ने का फैसला किया।
‘वंदे मातरम के साथ हुई नाइंसाफी..’ सदन में गरजे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस पर बोला हमला, पढें पूरी खबर

लोकसभा (Lok Sabha) में शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार को वंदे मातरम पर चर्चा की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने चर्चा की शुरूआत की। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, जिस धरती पर वंदे मातरम की रचना हुई, उसी धरती पर 1937 में कांग्रेस ने इस गीत को बिगाड़ने का फैसला किया। वंदे मातरम के साथ हुए राजनीतिक धोखे और अन्याय के बारे में सभी पीढ़ियों को पता होना चाहिए इसलिए यह चर्चा हो रही है क्योंकि यह अन्याय सिर्फ एक गीत के साथ नहीं, बल्कि आजाद भारत के लोगों के साथ हुआ।

रक्षा मंत्री ने कहा कि आज जब हम डेढ़ सदी से वंदे मातरम की शानदार यात्रा का जश्न मना रहे हैं, तो हमें यह सच मानना ​​होगा कि वंदे मातरम को वह न्याय नहीं मिला जिसका वह हकदार था। आज आजाद भारत में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत को बराबर दर्जा देने की बात हो रही थी। लेकिन एक हमारी राष्ट्रीय चेतना का अहम हिस्सा बन गया। इसे समाज और संस्कृति की मुख्यधारा में जगह मिली। यह हमारे राष्ट्रीय प्रतीकों में शामिल हो गया। वह गीत हमारा जन गण मन था। लेकिन दूसरे गीत को किनारे कर दिया गया और नजरअंदाज किया गया। वह गीत वंदे मातरम है।

वंदे मातरम के साथ हुई नाइंसाफी

राजनाथ सिंह ने कहा कि वंदे मातरम के साथ जो नाइंसाफी हुई उसे समझना भी जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियां ऐसा करने वालों की सोच को बेहतर ढंग से समझ सकें। वंदे मातरम के साथ जो नाइंसाफी हुई वह कोई अकेली घटना नहीं थी। यह तुष्टिकरण की राजनीति की शुरुआत थी, जिसे कांग्रेस पार्टी ने अपनाया। इसी राजनीति की वजह से देश का बंटवारा हुआ और आजादी के बाद सांप्रदायिक सद्भाव और एकता कमजोर हुई।

उन्होंने कहा कि आज हम वंदे मातरम की इज्जत वापस ला रहे हैं लेकिन कुछ लोग हमारे खिलाफ यह नैरेटिव बनाने की कोशिश कर सकते हैं कि वंदे मातरम और जन गण मन के बीच दीवार खड़ी की जा रही है। ऐसा नैरेटिव बनाने की कोशिश बांटने वाली सोच को दिखाती है। हम राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का बराबर सम्मान करते हैं। जो यह नहीं समझते, वे मां के प्यार को भी नहीं समझते। मां अपने बच्चों में भेदभाव नहीं करती। जन गण मन और वंदे मातरम भारत मां के दो बेटों की पुकार हैं। वे भारत मां की दो आंखें हैं। दोनों ही हमारा राष्ट्रीय गौरव हैं।

स्वतंत्रता सेनानियों को वंदे मारतम से मिली ताकत

रक्षा मंत्री ने कहा किवंदे मातरम भारत के इतिहास, वर्तमान और भविष्य से जुड़ा है। वंदे मातरम ने हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को ब्रिटिश राज के खिलाफ उनके संघर्ष में बहुत ताकत दी। वंदे मातरम वह गीत है जिसने सदियों की गुलामी के बाद हमारे देश को जगाया। यह आधी सदी तक स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरणा देता रहा और इसकी गूंज अंग्रेजी चैनलों के जरिए ब्रिटिश संसद तक भी पहुंची।

वंदे मातरम की ऐसी ताकत थी। जिसे अप्रैल 1906 में ब्रिटिश सरकार ने इसका नारा लगाने पर रोक लगा दी थी। लोगों ने खुलेआम इस आदेश का उल्लंघन किया। इसी तरह, उस्मानिया यूनिवर्सिटी में भी वंदे मातरम का नारा लगाने पर रोक लगा दी गई थी। इस आदेश का विरोध करने के लिए श्री राम चंद्र नाम के एक छात्र को जेल में डाल दिया गया था।