International Yoga Day 2024 : क्या आपको पता है अंतरिक्ष में योग करने वाले पहले और एकमात्र व्यक्ति का नाम? जानिए इस खबर में….

International Yoga Day 2024 : क्या आप यह जानते हैं कि योग केवल धरती पर ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी किया जा चुका है? दरअसल आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि कौन थे वह पहले व्यक्ति जिन्होंने अंतरिक्ष में योग किया था।

Rishabh Namdev
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International Yoga Day 2024 : आप सभी यह जानते ही होंगे कि योग की शुरुआत भारत में ही हुई है और अब यह दुनिया भर में लोगों की जीवन शैली का अहम हिस्सा बन चुका है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि योग केवल धरती पर ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी किया जा चुका है? दरअसल आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि कौन थे वह पहले व्यक्ति जिन्होंने अंतरिक्ष में योग किया था।

अंतरिक्ष में योग करने वाले पहले व्यक्ति:

आपको बता दें कि अंतरिक्ष में योग करने वाले पहले और अब तक के एकमात्र व्यक्ति राकेश शर्मा हैं। दरअसल जब भी भारत की पहली अंतरिक्ष यात्रा का जिक्र होता है, तो राकेश शर्मा का नाम सबसे पहले आता है। जानकारी दे दें कि 1984 में, राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान सोयुज टी-11 से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी। वहीं अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा कि ‘अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है’, तब राकेश शर्मा ने कहा था, “सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा” जिसके बाद से ही यह शब्द भारत के लिए और भी खूबसूरत हो गए।

दरअसल भारत के पहले और दुनिया के 138वें अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा थे। जानकारी के अनुसार उन्होंने अंतरिक्ष में 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताकर भारत का सर गर्व से ऊँचा किया था। वे ‘राजघाट की मिट्टी, महात्मा गांधी के समाधि स्थल की फोटो, और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह’ की तस्वीरें भी अपने साथ अंतरिक्ष में ले गए थे।

साझा किया था अंतरिक्ष में योग का एक्सपीरियंस?

दरअसल राकेश शर्मा अंतरिक्ष में अनुशासनपूर्वक योग करने वाले पहले व्यक्ति थे। वहां भी उन्होंने अपनी दिनचर्या को बनाए रखा। गुरुत्वाकर्षण के अभाव में उन्हें योग करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। एक मीडिया चैनल को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि योग ने उन्हें कुछ महत्वपूर्ण सबक सिखाए हैं, अंतरिक्ष में योग करने का मतलब है कि आप शून्य गुरुत्वाकर्षण में योग कर रहे हैं, जबकि पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण बल होता है।

इस स्थिति को दोहराने के लिए उन्होंने इलास्टिक डोरियों के साथ एक हार्नेस डिजाइन किया था। हालांकि, वहां संतुलन बनाना बहुत मुश्किल था। यदि कोई प्रशिक्षित व्यक्ति उन्हें योग करते देखता, तो वह काफी निराश हो सकता था। बता दें कि राकेश शर्मा भारतीय वायुसेना के पूर्व पायलट भी रह चुके हैं।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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