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Sat, Dec 6, 2025

इन 5 IPS अधिकारियों को मिली झारखंड में लंबित आपराधिक मामलों के त्वरित निपटान की जिम्मेदारी

Written by:Rishabh Namdev
राज्य में लंबित आपराधिक मामलों के तुरंत निपटारे को लेकर अब झारखंड डीजीपी कार्यालय ने 5 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक टीम तैयार की है। इन अधिकारियों को अलग-अलग रेंज में लंबित मामलों की समीक्षा और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने का दायित्व सौंपा गया है।
इन 5 IPS अधिकारियों को मिली झारखंड में लंबित आपराधिक मामलों के त्वरित निपटान की जिम्मेदारी

झारखंड में डीजीपी कार्यालय ने राज्य में लंबित आपराधिक मामलों के त्वरित निपटान के लिए अब 5 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी है। दरअसल इन पांच वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को लंबित कांडों की व्यापक समीक्षा और शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है। सभी अधिकारियों को 15 दिनों के भीतर अपने-अपने रेंज के सभी जिलों में लंबित मामलों की जांच प्रगति की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं और इन मामलों पर पुलिस कार्रवाई के भी निर्देश मिले हैं।

डीजीपी कार्यालय द्वारा आदेश जारी किए गए हैं कि सभी लंबित मामलों की अंतिम रिपोर्ट प्राथमिक दर्ज होने की तिथि से 60 दिन और 90 दिन के अंदर संबंधित अदालत में जमा करनी होगी। दरअसल इस फैसले से राज्य में बचे हुए मामलों पर तेजी से कार्रवाई हो सकेगी।

इन अधिकारियों को सौंपी जिम्मेदारी

वहीं डीजीपी कार्यालय ने पारदर्शिता और समयबद्धता बढ़ाने के लिए इस पूरी प्रक्रिया को सीसीटीएनएस के माध्यम से ऑनलाइन करवाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा जिन पांच आईपीएस अधिकारियों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनमें आईजी रांची रेंज मनोज कौशिक शामिल हैं जिन्हें रांची रेंज की जिम्मेदारी मिली है। इसके अलावा डीआईजी रमेश का नाम शामिल है जिन्हें संथाल परगना एवं हजारीबाग रेंज की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं कोयला क्षेत्र बोकारो रेंज की जिम्मेदारी डीआईजी कार्तिक को सौंपी गई है। कोल्हान रेंज की जिम्मेदारी डीआईजी चंदन झा को दी गई है, जबकि पलामू रेंज की जिम्मेदारी एसपी रघुवीर को सौंपी गई है।

ये दिए गए निर्देश

इसके अलावा डीजीपी कार्यालय ने इन अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपते हुए यह अपेक्षा की है कि वह जिला पुलिस पदाधिकारियों के साथ नियमित समन्वय स्थापित करें और बचे हुए मामलों की समीक्षा बैठक आयोजित करें। साथ ही इन अधिकारियों को समय सीमा के भीतर रिपोर्ट फाइल करवाने की जिम्मेदारी भी दी गई है। कई बार मामलों की सुनवाई में देरी होती है, लेकिन डीजीपी कार्यालय के इस निर्णय से लंबित कांडों और मामलों की जांच हो सकेगी और समय पर सुनवाई सुनिश्चित हो सकेगी। इसके अलावा अधिकारियों को अलग-अलग रेंज मिलने से लंबित मामलों पर निर्धारित समय में कार्रवाई हो सकेगी।