क्या सच में 21 तारीख को भारत बंद रहने वाला है? X पर ट्रेंड हुआ ’21 अगस्त भारत बंद’, पढ़ें यह खबर

आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर '21_अगस्त_भारत_बंद' हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। दरअसल इसका मुख्य कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए 'कोटे के अंदर कोटा' के फैसले का विरोध करना है।

Rishabh Namdev
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पूरे देश में 21 अगस्त (बुधवार) को ‘भारत बंद’ का आयोजन किया जा सकता है, वहीं इसके समर्थन में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर आज ’21_अगस्त_भारत_बंद’ हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। दरअसल इस बंद का आह्वान आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति और कई अन्य संगठनों ने किया है। जानकारी के अनुसार बंद का उद्देश्य हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ‘कोटे के अंदर कोटा’ के फैसले का विरोध करना है।

बता दें कि इस निर्णय से आरक्षित वर्ग की कुछ जातियों में नाराजगी बढ़ गई है, जिसके परिणामस्वरूप यह बंद आयोजित किया गया है। वहीं इस आयोजन को बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती सहित अन्य संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है।

इसलिए किया जा रहा विरोध प्रदर्शन

दरअसल भारत बंद का मुख्य कारण सुप्रीम कोर्ट के ‘कोटे के अंदर कोटा’ से जुड़े निर्णय का विरोध करना बताया जा रहा है। बता दें कि 1 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में राज्यों को अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के भीतर उप-श्रेणियां (सब-कैटेगरी) बनाने की मंजूरी दी थी। इस निर्णय के अंतर्गत उन जातियों की पहचान की जा रही थी जो आरक्षण का पूरा लाभ नहीं उठा पाई थीं, और उन्हें प्राथमिकता देने के लिए एक अलग कोटा आवंटित किया जाना था।

जानिए क्या है जाती का यह मामला

जानकारी दे दें कि यह फैसला उन जातियों के लिए था जिन्हें समाज में अधिक दबाव और पिछड़ेपन का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इससे उन जातियों में नाराजगी बढ़ गई जो आरक्षित वर्ग में क्रीमीलेयर के तौर पर पहचानी जाती हैं। क्रीमीलेयर में शामिल जातियों का मानना है कि यह निर्णय उनके अधिकारों और अवसरों को सीमित करता है। इसी कारण, आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति और कई अन्य संगठनों ने इस फैसले के विरोध में 21 अगस्त को भारत बंद का आयोजन करने का निर्णय लिया है।

वहीं इस फैसले के बाद अब सोशल मीडिया पर ’21_अगस्त_भारत_बंद’ का हैशटैग तेजी से ट्रेंड करने लगा। इस ट्रेंड के माध्यम से आरक्षित वर्ग की क्रीमीलेयर जातियां अपनी असहमति प्रकट कर रही हैं और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध कर रही हैं। कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने भी इस ट्रेंड का समर्थन किया है, जिससे यह मुद्दा और अधिक चर्चा में आ गया है। हालांकि अब 21 तारीख का इंतजार सभी को रहने वाला है।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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