उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अब वह जल्द ही वीपी एन्क्लेव खाली करने की तैयारी में हैं। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंपा जिसे मंगलवार को स्वीकार कर लिया गया। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने सोमवार रात से ही सामान पैक करना शुरू कर दिया था। 74 वर्षीय धनखड़ पिछले साल अप्रैल में चर्च रोड पर नवनिर्मित वीपी एन्क्लेव में स्थानांतरित हुए थे जहां उन्होंने लगभग 15 महीने तक निवास किया।
धनखड़ के इस आकस्मिक इस्तीफे ने सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों को आश्चर्य में डाल दिया है जिससे यह अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों से इतर कोई और वजह है। कई विपक्षी नेताओं, जिनमें शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत और एनसीपी (एसपी) के शरद पवार शामिल हैं, ने धनखड़ से मिलने का समय मांगा, लेकिन उन्हें मुलाकात का अवसर नहीं मिल सका। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि धनखड़ को लुटियंस दिल्ली या अन्य क्षेत्र में टाइप VIII बंगला आवंटित किया जाएगा, जो आमतौर पर वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों या राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों को दिया जाता है।
2027 तक था धनखड़ का कार्यकाल
वीपी एन्क्लेव, जो उपराष्ट्रपति का निवास और कार्यालय है, सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना के तहत बनाया गया था। धनखड़ का कार्यकाल 2027 तक था, लेकिन उनके अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उनके इस कदम ने न केवल उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ाई हैं बल्कि यह भी सवाल उठाए हैं कि क्या इस निर्णय के पीछे कोई अन्य राजनीतिक या व्यक्तिगत कारण हैं। धनखड़ के भविष्य के कदमों पर सभी की नजरें टिकी हैं।
भारत में उपराष्ट्रपति के चुनाव का नियम
भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल की ओर से किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्य शामिल होते हैं। यह चुनाव गुप्त मतदान के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत होता है जिसमें एकल हस्तांतरणीय मत का उपयोग किया जाता है। उम्मीदवार को विजयी होने के लिए कुल वैध मतों का बहुमत प्राप्त करना होता है। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है और वह अपने कार्यकाल के दौरान या स्वास्थ्य जैसे कारणों से इस्तीफा दे सकता है, जैसा कि धनखड़ के मामले में देखा गया।





