जम्मू-कश्मीर में राज्सभा चुनावों के बाद शनिवार को एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सजाद लोन ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) ने भारतीय जनता पार्टी को 7 वोट उपहार में दिए और इस चुनाव को फिक्स्ड मैच करार दिया। यह पहली बार था जब जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद 2019 में राज्सभा चुनाव हुए, जिसमें एनसी ने तीन सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी ने एक सीट हासिल की।
लोन ने श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि एनसी ने अपने बीजेपी-विरोधी रुख को धोखा दिया है। उन्होंने दावा किया कि तीसरे नोटिफिकेशन के तहत हुए मतदान में, जहां एनसी के जीएस ओबेरॉय और इमरान नबी दार का मुकाबला बीजेपी के सत शर्मा से था, एनसी ने बीजेपी को अतिरिक्त वोट दिए। ओबेरॉय को 31 और दार को 21 वोट मिले, जबकि बीजेपी के शर्मा को 32 वोट प्राप्त हुए। तीन वोट अमान्य घोषित किए गए। लोन ने आरोप लगाया कि बीजेपी के 28 विधायकों के अलावा मिले चार अतिरिक्त वोट एनसी से आए।
एनसी पर क्रॉस-वोटिंग का आरोप
सज्जाद लोन ने एनसी पर क्रॉस-वोटिंग का आरोप लगाते हुए कहा कि यह कोई हॉर्स-ट्रेडिंग नहीं, बल्कि एनसी और बीजेपी के बीच एक समझौता था। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी का असली आंकड़ा 70 वोटों का है, जिसमें एनसी के 42 वोट शामिल हैं। लोन ने कहा, “एनसी दिल्ली के साथ सांठगांठ में थी। आज हमने उन्हें बीजेपी की गोद में रंगे हाथों पकड़ा है।”
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा
इससे पहले, शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी में क्रॉस-वोटिंग की अटकलों को खारिज किया था। उन्होंने कहा कि एनसी के सभी वोट चारों चुनावों में बरकरार रहे और उनके चुनाव एजेंट ने प्रत्येक मतपत्र देखा। अब्दुल्ला ने सवाल उठाया कि बीजेपी के अतिरिक्त चार वोट कहां से आए और किन विधायकों ने गलत प्राथमिकता अंकित कर अपने वोट अमान्य किए। उन्होंने बीजेपी के “गुप्त दल” से अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने की चुनौती दी।





