ज्योतिरादित्य–जयराम का ट्विटर वार, चलाए एक दूसरे पर शब्दों के बाण

Gaurav Sharma
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Scindia – Jairam Twitter War : दुश्मन ना करे दोस्त ने वो काम किया है उम्र भर का गम हमें इनाम दिया है… कुछ ऐसी ही हालत है कांग्रेस की सिंधिया के जाने के बाद। कांग्रेसियों को अब ना तो सिंधिया की बात अच्छी लगती हैं और ना ही सिंधिया। जब भी मौका मिलता है कांग्रेस और कांग्रेसी सिंधिया को आड़े हाथ लेने की कोशिश में लग जाते हैं।

ऐसा ही कुछ हुआ है सिंधिया के द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद। इस पीसी में सिंधिया ने राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए कुछ लोग फर्स्ट क्लास सिटीजन और आप और हम थर्ड क्लास सिटीजन है। सिंधिया यहीं नहीं रुके आगे बात करते हुए वह बोले कि कांग्रेस द्वारा लड़ी जा रही लड़ाई लोकतंत्र की लड़ाई नहीं बल्कि व्यक्तिगत लड़ाई है। अंत में उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की विचारधारा देशद्रोही की विचारधारा बची है, देश के विरुद्ध कार्य करने की विचारधारा बची है।

सुभद्रकुमारी की अमर कविता दिलाई याद

सिंधिया की इन्हीं सब बातों के जवाब में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर लिखा कि क्या सिंधिया सुभद्रा कुमारी चौहान की अमर कविता को भूल गए हैं? बस फिर क्या था सिंधिया और जयराम के बीच में शुरू हुआ शब्दों का युद्ध।

कविताएं कम इतिहास ज्यादा पढ़िए : सिंधिया

जयराम की इस बात का जवाब देते हुए सिंधिया ने अपने ट्विटर पर लिखा कि जयराम कविताएं कम और इतिहास ज्यादा पढ़े। इसके बाद सिंधिया ने अपने ट्वीट में मराठा और मराठा साम्राज्य के गौरवशाली इतिहास के कुछ अंश से जयराम को अवगत कराया।

आप दोनों अपना चरित्र दिखा रहे हैं : जयराम

इसके बाद जयराम ने अपने ट्वीट में न केवल सिंधिया पर बल्कि गुलाम नबी आजाद पर भी निशाना साधा। उन्होंने दोनों को कांग्रेस पार्टी का लाभभोगी बताया और कहा इसके दोनों योग्य नहीं थे। वर्तमान परिस्थितियों का हवाला देते हुए जयराम बोले कि अब दोनों अपने चरित्र दिखा रहे हैं।

मैं मेरा परिवार जनता के प्रति जवाबदेह : सिंधिया

इस बात का जवाब देते हुए सिंधिया ने लिखा मुंह में राम बगल में छुरी! आपके ऐसे वक्तव्य साफ दर्शाते हैं कि कांग्रेस में कितनी मर्यादा और विचारधारा बची है। जयराम पर निशाना साधते हुए सिंधिया ने कहा कि आप केवल स्वयं के प्रति समर्पित है लेकिन मैं और मेरा परिवार हमेशा जनता के लिए जवाबदेह रहा है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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