भारत के टेलीकॉम सेक्टर में अभी सिर्फ रिलायंस जियो और एयरटेल का दबदबा है। दरअसल वोडाफोन आइडिया कर्ज के बोझ से जूझ रही है, जबकि बीएसएनएल 4G और 5G की रेस में काफी पीछे है। ऐसे में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट कर दिया कि ये स्थिति संतुलित नहीं मानी जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा हर सेक्टर में जरूरी है, जिससे ग्राहक को बेहतर और सस्ती सेवाएं मिल सकें।
वहीं इसके लिए सरकार 6 गीगाहर्ट्ज बैंड को बिना लाइसेंस के इस्तेमाल की अनुमति देगी, जिससे देशभर में सस्ता और आसान वाई-फाई कनेक्शन उपलब्ध हो सकेगा। बता दें कि 6 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम को बिना लाइसेंस के इस्तेमाल की इजाजत देने से देशभर में इंटरनेट की पहुंच और रफ्तार में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है।

लाइसेंस फ्री करने से क्या बदलेगा?
दरअसल अभी वाई-फाई नेटवर्क्स को काम करने के लिए सीमित स्पेक्ट्रम मिलता है, जिससे स्पीड और कनेक्टिविटी पर असर पड़ता है। लेकिन इस नई पहल के बाद गांवों से लेकर शहरों तक, स्कूलों से लेकर दफ्तरों तक, ज्यादा मजबूत और तेज वाई-फाई नेटवर्क तैयार होंगे। इस कदम से छोटे-छोटे इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और टेक स्टार्टअप्स को भी बाजार में जगह मिलेगी, जिससे जियो और एयरटेल के वर्चस्व को सीधी चुनौती मिलेगी। साथ ही डिजिटल डिवाइड यानी टेक्नोलॉजी की असमान पहुंच को खत्म करने में भी ये अहम भूमिका निभाएगा। जो लोग अब तक इंटरनेट से दूर थे, उन्हें कम खर्च में बेहतर इंटरनेट मिल सकेगा।
सैटेलाइट कम्युनिकेशन में भी बढ़ेगा कॉम्पिटीशन
वहीं सरकार जल्द ही सैटेलाइट कम्युनिकेशन सेवाओं के लिए भी स्पेक्ट्रम देने वाली है। अभी इस सेगमेंट में स्पेसएक्स की स्टारलिंक और रिलायंस की जियोस्पेस जैसी कंपनियां दिलचस्पी दिखा रही हैं। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि यह स्पेक्ट्रम प्रशासनिक आधार पर आवंटित किया जाएगा, जिससे निजी कंपनियों को वैश्विक स्तर की इंटरनेट सेवा भारत के दूरदराज इलाकों तक पहुंचाने का मौका मिलेगा। दरअसल इस फैसले से पहाड़ी क्षेत्रों, गांवों और सीमावर्ती इलाकों में भी हाई-स्पीड इंटरनेट देना संभव होगा, जहां केबल या फाइबर नेटवर्क पहुंचाना मुश्किल होता है। सरकार चाहती है कि टेक्नोलॉजी सिर्फ मेट्रो सिटी तक सीमित न रह जाए, बल्कि उसका फायदा हर नागरिक को मिले।