नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ‘संचार साथी ऐप’ को लेकर एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने शुक्रवार को बताया कि यह मोबाइल एप्लिकेशन पूरी तरह से वैकल्पिक है और उपयोगकर्ता अपनी इच्छा अनुसार इसे अपने फोन से हटा सकते हैं।
सिंधिया का यह बयान ऐसे समय आया है जब ‘संचार साथी ऐप’ को लेकर कुछ भ्रांतियां और इसकी अनिवार्यता को लेकर सवाल उठ रहे थे। उन्होंने इन सभी आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया।
“अगर आप संचार साथी ऐप नहीं रखना चाहते, तो इसे डिलीट कर सकते हैं। यह पूरी तरह वैकल्पिक है।” — ज्योतिरादित्य सिंधिया
मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का एकमात्र कर्तव्य इस ऐप के बारे में सभी नागरिकों को सूचित करना है। इसके बाद, इसे अपने मोबाइल फोन में रखना है या नहीं, यह निर्णय पूरी तरह से उपयोगकर्ता के विवेक और इच्छा पर निर्भर करता है।
“हमारा कर्तव्य है कि इस ऐप के बारे में सभी को जानकारी दें। इसे फोन में रखना है या नहीं यह पूरी तरह यूज़र की इच्छा पर निर्भर है।” — ज्योतिरादित्य सिंधिया
सिंधिया ने संचार साथी ऐप पर क्या कहा
सिंधिया ने अपने बयान में कहा अगर आप इस ऐप को अपने मोबाइल में रखना चाहते हैं तो रखें, डिलीट करना चाहे तो डिलीट करें। यह कम्प्लीटली ऑप्शनल है, अगर कोई इस ऐप पर रजिस्टर नहीं करना चाहती तो ना करे, इस मोबाइल में पड़ा रहने दे, या डिलीट कर दे।
इस ऐप को प्री इंस्टॉल रखने का सरकार का आशय केवल कस्टमर प्रोटेक्शन है। आज भारत में बहुत सारे मोबाइल उपभोक्ताओं को इस बात की जानकारी नहीं है कि वह किस ऐप के माध्यम से मोबाइल संबंधित फ्रॉड से बच सकते हैं। इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस ऐप को हर व्यक्ति तक पहुंचाएं और उसे संभावित फ्रॉड से बचाए।
विपक्ष द्वारा लगाए गए प्राइवेसी के हनन के आरोपों पर सिंधिया ने कहा, यह सब विपक्ष केवल अपनी कुर्सी बचाने के लिए कर रहा है। सिंधिया ने विपक्ष के दोहरी रवैया की बात करते हुए कहा एक तरफ वह भारत में हुए मोबाइल फ्रॉड को लेकर सवाल करते हैं दूसरी ओर जब हम उसका समाधान लेकर आते हैं संचार साठी ऐप के रूप में तब वह इस पर भी सवाल उठाते हैं। सिंधिया ने विपक्ष पर चुटकी लेते हुए कहा “करो तो मरो नहीं करो तो मरो”





