भारत का एकमात्र मंदिर, जहां होती है स्त्री शक्ति की मासिक पूजा! भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी

इस मंदिर को लेकर बहुत सारी कथाएं प्रचलित है, जिस कारण यह रहस्यमई मंदिर कहलाता है। यहां हर साल मासिक और वार्षिक मेले का आयोजन होता है, जिसमें सबसे प्रमुख आयोजन अंबुबाची मेला है जो की चार दिनों तक चलता है।

भारत के असम राज्य में कामाख्या मंदिर स्थित है जो की एक पवित्र मंदिर है। यहां हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। रहस्य से भरे मां कामाख्या मंदिर तांत्रिक परंपराओं और दिव्य स्त्री ऊर्जा से भरा हुआ एक आध्यात्मिक केंद्र है। यह मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि यहां केवल दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। गुवाहाटी शहर के पश्चिमी भाग में नीलांचल पहाड़ी पर स्थित मां कामाख्या मंदिर विश्व प्रख्यात है। इस मंदिर में देवी के किसी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती बल्कि यहां एक कुंड है, उसकी पूजा होती है।

इस मंदिर को लेकर बहुत सारी कथाएं प्रचलित है, जिस कारण यह रहस्यमई मंदिर कहलाता है। यहां हर साल मासिक और वार्षिक मेले का आयोजन होता है, जिसमें सबसे प्रमुख आयोजन अंबुबाची मेला है जो की चार दिनों तक चलता है।

रहस्य

मंदिर के रहस्य की बात करें तो एक मान्यता यह है कि यहां देवी के राज सवाल होने पर ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिन के लिए लाल हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक यहां माता सती का यानी भाग गिरा था, जिस कारण यहां शक्ति की उपासना की जाती है। देवी के इस रूप को महिलाओं की शक्ति और सृजन क्षमता का प्रतीक माना जाता है। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि इस मंदिर में तांत्रिक अपनी सिद्धियों को सिद्ध करने के लिए आते हैं।

खासियत

मंदिर की खासियत की बात करें तो यहां केवल कुंड की पूजा की जाती है, जो हमेशा फूलों से ढका रहता है। एक समय ऐसा आता है जब देवी राज सावला होती है। उस दौरान मंदिर के कपाट को 3 दिन के लिए बंद कर दिए जाते हैं। साथ ही यह भी कहा जाता है कि ब्रह्मपुत्र नदी का पानी इस दौरान लाल हो जाता है, जिसे भक्त देवी का चमत्कार समझते हैं। यहां कई लोग काला जादू से छुटकारा पाने के लिए भी आते हैं। इसके अलावा मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में कई अन्य रहस्य भी जुड़े हैं, जिसके अनुसार यहां वशीकरण पूजा भी होती है। यह पूजा किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि पति-पत्नी के आपसी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है।

दिया जाता है महाप्रसाद

स्थानीय पुजारी के मुताबिक अंबुबाची काल के दौरान गर्भगृह तीन दिनों के लिए बंद कर दिया जाता है। इस दौरान देवी विश्राम करती हैं। पुजारी देवी को लाल कपड़े में लपेट देते हैं, जो उनके मासिक धर्म चक्र का प्रतीक है। केवल इतना ही नहीं, मंदिर के कपाट तीन दिन बाद वापस खुलने पर इस कपड़े को महाप्रसाद के रूप में भक्तों के बीच बांटा जाता है, जिसे श्रद्धालु देवी का आशीर्वाद समझते हैं।

वैज्ञानिक तर्क

हालांकि, वैज्ञानिक द्वारा इस बात की पुष्टि नहीं की जाती है, बल्कि उनका मानना है कि नदी का रंग प्राकृतिक कारण के चलते लाल होता है। भारत एक ऐसा देश है जहां देवी देवताओं की पूजा की जाती है, उन पर विश्वास किया जाता है। ऐसे में यह भक्तों के लिए देवी का चमत्कार ही है।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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