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Sun, Dec 21, 2025

कन्नड़ भाषा विवाद से परेशान बेंगलुरु की टेक कंपनी, 6 महीने में पुणे शिफ्ट करेगी ऑफिस, जानें पूरा मामला

Written by:Ronak Namdev
Published:
बेंगलुरु की एक टेक कंपनी ने कन्नड़ भाषा विवाद के चलते पुणे में ऑफिस शिफ्ट करने का फैसला लिया है। कर्मचारियों पर कन्नड़ बोलने का दबाव और ट्रैफिक की दिक्कतें इसकी वजह हैं। 6 महीने में कंपनी यह शिफ्ट पूरा करेगी। जानें इस फैसले की वजह और पुणे के फायदों की पूरी कहानी।
कन्नड़ भाषा विवाद से परेशान बेंगलुरु की टेक कंपनी, 6 महीने में पुणे शिफ्ट करेगी ऑफिस, जानें पूरा मामला

बेंगलुरु की एक टेक कंपनी कन्नड़ भाषा विवाद से परेशान होकर पुणे शिफ्ट हो रही है। कर्मचारियों पर कन्नड़ बोलने का दबाव बढ़ गया था। ट्रैफिक और इंफ्रास्ट्रक्चर की दिक्कतें भी वजह बनीं। कंपनी 6 महीने में अपना ऑफिस पुणे ले जाएगी।

बेंगलुरु में एक टेक कंपनी ने बड़ा फैसला लिया है। कन्नड़ भाषा को लेकर चल रहे विवाद की वजह से कंपनी अपना ऑफिस पुणे शिफ्ट कर रही है। कर्मचारियों पर कन्नड़ बोलने का दबाव बढ़ गया था, जिससे काम का माहौल खराब हो रहा था। इसके अलावा, बेंगलुरु में ट्रैफिक और इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्याएँ भी बढ़ गई थीं। कंपनी ने 6 महीने में पुणे में शिफ्ट होने का प्लान बनाया है।

कन्नड़ भाषा विवाद और कर्मचारियों की परेशानी

बेंगलुरु में हाल के दिनों में भाषा को लेकर तनाव बढ़ गया है। स्थानीय लोग कन्नड़ भाषा को बढ़ावा देना चाहते हैं, लेकिन गैर-कन्नड़ भाषी कर्मचारियों को इससे दिक्कत हो रही है। इस टेक कंपनी के कर्मचारी, जो ज्यादातर बाहर से आए हैं, कन्नड़ बोलने के दबाव से परेशान थे। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि क्लाइंट्स और स्थानीय लोग कन्नड़ में बात करने की उम्मीद करते हैं, जो उनके लिए मुश्किल है। हाल ही में एक बैंक मैनेजर के कन्नड़ न बोलने पर हंगामा हुआ था, जिससे यह मुद्दा और गर्म हो गया। कंपनी ने अपने कर्मचारियों की परेशानी को देखते हुए पुणे शिफ्ट करने का फैसला लिया।

पुणे में शिफ्ट होने के फायदे

पुणे को इस टेक कंपनी ने कई वजहों से चुना। पुणे में बेंगलुरु की तुलना में रहने का खर्च कम है। यहाँ टेक पार्क्स और बेहतर सड़कें हैं, जो काम के लिए अच्छा माहौल देती हैं। पुणे की आबादी 70 लाख से ज्यादा है और यह एक स्मार्ट सिटी के तौर पर उभर रहा है। हालांकि, कुछ लोगों ने चेतावनी दी है कि पुणे में भी मराठी भाषा को लेकर दिक्कत हो सकती है। फिर भी, कंपनी का मानना है कि पुणे में काम करना आसान होगा। यह फैसला बेंगलुरु के टेक हब स्टेटस पर सवाल खड़े करता है। भविष्य में और कंपनियाँ भी बेंगलुरु से बाहर जा सकती हैं।