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Fri, Dec 19, 2025

नाबालिग लड़की या लड़के की सगाई को भी माना जाएगा अपराध, इस राज्य में विधेयक को मिली मंजूरी

Written by:Mini Pandey
Published:
विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है और विधेयक को विधानमंडल के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा।
नाबालिग लड़की या लड़के की सगाई को भी माना जाएगा अपराध, इस राज्य में विधेयक को मिली मंजूरी

कर्नाटक मंत्रिमंडल ने बाल विवाह पर अंकुश लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए गुरुवार को बाल विवाह निषेध (कर्नाटक संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी। इस विधेयक में नाबालिगों की सगाई को भी दंडनीय अपराध बनाने का प्रावधान शामिल है जिसका उद्देश्य बाल विवाह की प्रथा को और सख्ती से रोकना है। राज्य सरकार के इस फैसले की खूब चर्चा हो रही है। 

विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है और विधेयक को विधानमंडल के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कदम बाल विवाह की घटनाओं को कम करने के लिए उठाया गया है, जो सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोण से गंभीर समस्या है। मंत्रिमंडल ने इस बात पर ध्यान दिया कि 2023-24 के दौरान कर्नाटक में लगभग 700 बाल विवाह के मामले सामने आए थे। यह आंकड़ा इस प्रथा की व्यापकता को दर्शाता है और इसे रोकने के लिए कठोर कानूनी उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

उच्च स्तरीय बैठक में लिया फैसला 

मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिसमें जिलों के उपायुक्तों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को बाल विवाह रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए गए। यह विधेयक न केवल बाल विवाह, बल्कि नाबालिगों की सगाई को भी अपराध की श्रेणी में लाकर इस प्रथा को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

फैसले की प्रासंगिकता और प्रभाव

कर्नाटक मंत्रिमंडल का यह फैसला सामाजिक सुधार और बाल अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक साहसिक कदम है। नाबालिगों की सगाई को अपराध की श्रेणी में लाना बाल विवाह को रोकने में प्रभावी हो सकता है, क्योंकि सगाई अक्सर इस प्रथा का प्रारंभिक चरण होती है। यह कदम उन सामाजिक प्रथाओं पर अंकुश लगाने में मदद करेगा जो नाबालिगों के शारीरिक, मानसिक और शैक्षिक विकास को बाधित करती हैं। 2023-24 में 700 बाल विवाह के मामलों का उल्लेख इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है और यह विधेयक इस दिशा में जागरूकता और कानूनी सख्ती बढ़ाने का काम करेगा।