दिवाली पर सिर्फ 7 दिनों के लिए खुलता है ये चमत्कारी मंदिर, चमत्कार देख फटी की फटी रह जाती हैं लोगों की आंखें

Karnataka Hasanamba Temple : कर्नाटक में बेंगलुरु से महज 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हसनंबा देवी का मंदिर बेहद चमत्कारी है। यहां भक्त चिठ्ठी लिख कर मां से अपनी मुराद बोलते हैं।

Karnataka Hasanamba Temple : भारत में ऐसे कई सारे मंदिर हैं जहां की मान्यता काफी ज्यादा है। प्राचीन काल से ही भारत में ऐसे कई सारे देवी देवताओं के मंदिर मौजूद है जहां चमत्कारिक घटनाएं घटित होती आ रही है। ऐसा ही एक मंदिर कर्नाटक में बेंगलुरु से महज 180 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है जो बेहद ही चमत्कारी है। यहां के चमत्कार देखकर लोगों की आंखें खुली की खुली रह जाती है। ये मंदिर देवी शक्ति को समर्पित है। मंदिर का नाम हसनंबा है। इसका निर्माण होयसल वंश के राजाओं ने 12वीं सदी में बनवाया गया था। हालांकि मुख्य द्वार पर जो गोपुरम बना है, उसका निर्माण 12वीं शताब्दी के बाद किया गया है।

लेकिन मंदिर की सबसे बड़ी बात ये है कि ये सिर्फ दिवाली के वक्त 7 दिनों के लिए खुलता है। यहां भक्तों की काफी ज्यादा भीड़ 7 दिनों तक देखने को मिलती है। दूर-दूर से भक्त यहां माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। लेकिन 7 दिनों में जो चमत्कार इस मंदिर में होते हैं उसे देख कर लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाती है। मंदिर की वास्तुकला भी काफी ज्यादा सुन्दर है। ये लोगों को आकर्षित करती हैं। इसके अलावा मंदिर में स्थापित मूर्ति भी काफी ज्यादा आकर्षित है लेकिन इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। वहीं एक ही परिसर में तीन मंदिर मौजूद है। तीनों ही मुख्य मंदिर है।

ऐसी है पौराणिक कथा

इस मंदिर को लेकर पौराणिक कथाएं भी मौजूद है। कहा जाता है कि भगवान शिव से इस मंदिर का इतिहास जुड़ा हुआ है। दरअसल राक्षस अंधकासुर ने कठोर तपस्या करने के बाद ब्रह्मा से अदृश्य होने का वरदान प्राप्त किया था। जिसके बाद वह अदृश्य होकर चारों ओर अत्याचार करने लगे इसको देखकर भगवान शिव काफी ज्यादा क्रोधित हुए।

उन्होंने अंधकासुर का वध करने का निर्णय लिया। लेकिन जब जब महादेव ने अंधकासुर का वध करने का प्रयास किया तो उसके शरीर से टपकी खून की बूंदे नए शरीर का निर्माण कर देती थी। ऐसे में शिव जी ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर योगेश्वरी देवी का निर्माण किया जिन्होंने अंधकासुर का वध किया। योगोश्वरी देवी के साथ 7 देवियां और साथ आईं थी।

इस वजह से उन्हें सप्तमातृका के नाम से जाना जाता है। वो सात देवियां ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वारही, इंद्राणी और चामुंडी है। इन्हीं का मंदिर हसन में स्थित है। ये मंदिर सिर्फ साल में 7 दिन के लिए दिवाली पर खुलता है। इन सात दिनों में बालीपद्यमी उत्सव यहां मनाया जाता है जिसमें कई चमत्कार देखने को मिलते हैं।

उत्सव के समय विशेष अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है। इसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। जो भी सच्चे मन से इस मंदिर में मुराद लेकर आता है वह पूरी होती है। खास बात ये है कि यहां मंदिर में भक्त सीधा मां से अपनी मुराद नहीं बोलता। यहां चिट्ठियां लिखकर मां हसनंबा से भक्त अपनी दिल की मुराद बताते हैं। भक्त मां के नाम अपना पत्र छोड़कर जाते हैं और उनकी मनोकामना भी पूर्ण होती है। यहां रहने वाले लोगों ने तो अपनी आँखों से यहां के चमत्कार देखे हुए हैं।

 

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