जानिए, इस सिपाही के ट्रांसफर पर क्यों फूट–फूट कर रोए बच्चे, पढ़े पूरी खबर

नई दिल्ली,डेस्क रिपोर्ट। इस खाकी वर्दी का जितना सम्मान किया जाए उतना ही कम है। यह लोग एक सभ्य समाज की नींव तो रखते ही हैं, इसके अलावा विपरीत स्थितियों में डटकर हमारी सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करते हैं, लेकिन उन्नाव के सिपाही (constable rohit ) ने तो इससे पार जाकर एक ऐसा कार्य किया है, जिससे न जाने कितनों को प्रेरणा मिलेगी।

आलम यह था जब इस सिपाही का ट्रांसफर हुआ तो उन्नाव में सिर्फ बच्चे ही नहीं बड़े बुजुर्ग तक फूट-फूटकर रोए। बता दें कि उन्नाव में पोस्टेड सिपाही रोहित कुमार का ट्रांसफर उन्नाव से झांसी हो गया। उन्नाव में इस देश की सुरक्षा के अलावा रोहित ने इसके भविष्य की भी जिम्मेदारी संभाली, जहां उन्होंने सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों का दाखिला प्राथमिक विद्यालय में कराया और जब बच्चे ज्यादा हो गए तब अपनी सैलरी से दो अध्यापक भी रखें। जब बच्चों को पता चला की उनके पालनहार का यहां से ट्रांसफर हो गया है, तो वह अपनी भावनाएं नहीं रोक सके और अपने नायक से लिपट कर खूब रोए।


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”