Labour Day 2023: 1 मई को ही क्यों मनाते हैं मजदूर दिवस? जानें इतिहास और इस साल की थीम

1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस (Labour Day 2023) पर जानिए आखिर क्यों मनाते हैं? पढ़ें विस्तार से यहां..

Labour Day 2023 : 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का मकसद मुख्य रूप से श्रमिकों की मजबूती और उनके अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए जागरूकता पैदा करना होता है। यह दिन भी श्रम आंदोलन के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन को अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन (International Labour Organization) ने 1889 में मनाने का प्रस्ताव रखा था। यह प्रस्ताव फ्रांस के सामूहिक अधिकार आंदोलन के समर्थकों द्वारा समर्थित था, जो उन समय लघुधन में काम करने वाले श्रमिकों के लिए अधिकारों की मांग कर रहे थे।

Labour Day

अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस को दुनिया भर में मनाया जाता है। भारत में भी इसे श्रमिक दिवस (Labour Day) के रूप में मनाया जाता है। इसे कामगार दिवस, श्रम दिवस और श्रमिक दिवस (labour) जैसे अन्य दूसरे नामों से भी जाना जाता है।

इस साल का थीम

मजदूर दिवस के अलग-अलग वर्षों में अलग-अलग थीम रखी जाती है, जो मजदूरों और श्रमिकों के हितों और अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए होती है। इस साल की थीम सकारात्मक सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्कृति का निर्माण (Act together to build a positive safety and health culture) है, जिसे भारत के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा घोषित की गई है। इस थीम के अंतर्गत, सकारात्मक सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्कृति को निर्माण करने के लिए सभी स्तरों पर एकजुट होकर काम करने की अपील की जाती है।

1 मई को ही क्यों मनाते हैं Labour Day

मजदूर दिवस का चयन 1 मई के लिए किया गया है क्योंकि 1886 में अमेरिका के शहर शिकागो में हड़ताल हुआ था। जिसमें दुनिया भर के कुछ महत्वपूर्ण श्रमिक संगठनों ने भाग लिया था। जिसके बाद साल 1889 में अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस के एक बैठक में इस तिथि को मजदूरों के लिए आंदोलन और हड़ताल का दिन घोषित किया गया था। इस तरीके से 1 मई मजदूरों के अधिकारों और समूचे मानव जाति की अधिकतम उपलब्धियों की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। वर्तमान में, कई देशों में एक मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है।

मजदूर दिवस का उद्देश्य

मजदूर दिवस का मुख्य उद्देश्य मजदूरों के हकों और उनकी समस्याओं को जागरूकता फैलाना होता है। इस दिन को मजदूरों के संरक्षण और उनके समूह के लिए न्यूनतम वेतन और अन्य वेतन निर्धारण जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस दिन के जरिए मजदूर और श्रमिक संघों द्वारा सभी समस्याओं के लिए संघर्ष किया जाता है और न्याय की मांग की जाती है।

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का इतिहास शुरू होता है 1 मई 1886 के शिकागो में हुए मजदूर आंदोलन से। इस आंदोलन के दौरान शिकागो के कई हजार मजदूरों ने अपने काम की स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए हड़ताल की शुरुआत की थीं। इसके बाद अमेरिका में दस हजारों मजदूरों के द्वारा इस हड़ताल में हिस्सा लिया गया था। इस हड़ताल के दौरान कई मजदूरों की जान जाने के बाद भी, समाजवादी संगठनों द्वारा 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया था।

इसके बाद से अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस हर साल 1 मई को मनाया जाता है। यह दिन मजदूरों के हक और सम्मान को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर में विभिन्न समारोहों और प्रदर्शनों का दिन होता है। इस दिन मजदूर संगठनों द्वारा मांगों को लेकर रैलियां, सेमिनार, वेबिनार, शांति जुलूस, हड़ताल और अन्य धरने आदि कराए जाते हैं।

(Disclaimer: यहां मुहैया सूचना अलग-अलग जानकारियों पर आधारित है। MP Breaking News किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।)