भारत में अमीर से लेकर गरीब, हर वर्ग के लोग रहते हैं। यहां के शहरों की बात करें तो इनमें से कुछ इलाके ऐसे होते हैं जो रॉयल यानी वीआईपी लोगों का इलाका होता है, तो कुछ इलाके ऐसे हैं जहां सामान्य जीवन शैली जीने वाले लोग रहते हैं। यहां की संस्कृति, सभ्यता बाकी सभी देशों से अलग है, जिसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। इससे अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है। वहीं, शहर का एक हिस्सा ऐसा भी होता है जहां झुग्गी में लोग रहते हैं, जिसे स्लम के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसे में आज हम आपको भारत ही नहीं, बल्कि एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के बारे में बताएंगे, जहां लगभग 60% प्लास्टिक कचरा को रिसाइकल किया जाता है।

धारावी
दरअसल, महाराष्ट्र के मुंबई शहर में एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है, जिसे धारावी के नाम से जाना जाता है। यह दुनिया के सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाले रिहायशी इलाकों में से एक है। यह दुनिया की सबसे बड़ी झुग्गियों में से भी एक माना जाता है, जो कि 2.39 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, यहां की आबादी लगभग तीन लाख से 10 लाख लोगों तक है। ऐसे में धारावी, दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक है।
20 मिलियन से ज्यादा आबादी
भारत की नवीनतम जनगणना के अनुसार, 1.2 बिलियन की आबादी वाले देश में 65 मिलियन से अधिक लोग झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 1991 से अब तक मुंबई की आबादी लगभग दोगुनी होकर 20 मिलियन से ज्यादा हो चुकी है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि शहर के आधे से ज्यादा लोग झुग्गी-झोपड़ी या सड़कों पर रहते हैं।
इतिहास
धारावी का इतिहास काफी अधिक पुराना है। जब ग्रामीण इलाकों से लोगों का पलायन मुंबई के शहरी इलाकों में हुआ, ऐसे में धारावी वह इलाका था जहां आर्थिक रूप से कमजोर लोग रहा करते थे। धीरे-धीरे उद्योगों की संख्या बढ़ती गई और यहां रहने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई। ऐसे ही धीरे-धीरे लोगों की संख्या बढ़ती गई और रोज कमाने खाने वाले लोग यहां आकर गुजर-बसर करने लगे।
नहीं होता कुछ भी बर्बाद
मुंबई के लगभग 60% प्लास्टिक कचरे को धारावी में रिसाइकल किया जाता है। यह दुनिया में सबसे बड़ी और सबसे कुशल रीसाइक्लिंग कंपनियों में से एक है। यहां पर कुछ भी बर्बाद नहीं होता है।