दिल्ली में वकीलों का आंदोलन एक बार फिर तेज होने जा रहा है। आठ सितंबर से वकील हड़ताल पर जाएंगे और कोर्ट की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनेंगे। दरअसल, विवाद की जड़ एलजी द्वारा जारी वह नोटिफिकेशन है, जिसमें पुलिस अधिकारियों को थानों से गवाही देने की छूट दी गई है। वकीलों का कहना है कि यह आदेश न केवल आरोपी के बचाव के अधिकार को सीमित करता है, बल्कि आम जनता के लिए न्याय पाने की राह भी मुश्किल बना देगा। इससे पहले 22 अगस्त को वकीलों ने हड़ताल शुरू की थी, लेकिन आश्वासन के बाद इसे खत्म किया गया था।
हड़ताल की वजह
13 अगस्त को एलजी की ओर से जारी नोटिफिकेशन में पुलिस अधिकारियों को थानों से गवाही देने की छूट दी गई थी। वकीलों का कहना है कि यह आदेश जनविरोधी है और आरोपी के बचाव के अधिकार को सीमित करता है। इसके चलते लोगों को न्याय से वंचित होना पड़ेगा।
अमित शाह से हुई थी मुलाकात
2 सितंबर को जिला अदालतों की समन्वय समिति और दिल्ली बार काउंसिल का प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री अमित शाह से मिला था। गृह मंत्री ने भरोसा दिया था कि आधिकारिक सर्कुलर जारी होगा जिसमें स्पष्ट किया जाएगा कि गवाही थानों से नहीं होगी।
वकीलों की नाराजगी
बार एसोसिएशन का कहना है कि 4 सितंबर को पुलिस कमिश्नर दफ्तर से जारी संचार गृह मंत्री के आश्वासन के मुताबिक नहीं है। इसमें गवाहों को औपचारिक और महत्वपूर्ण श्रेणियों में बांटने और उनकी उपस्थिति अदालत पर छोड़ने की बात कही गई है।
समिति का बयान
समिति के अध्यक्ष वीके सिंह और सचिव अनिल कुमार बसोया ने बयान जारी कर कहा कि बैठक में इस तरह की किसी व्यवस्था पर चर्चा नहीं हुई थी। इसलिए अब वकीलों का आंदोलन और तेज होगा और कोर्ट का काम पूरी तरह ठप रहेगा।





