लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान विपक्षी सांसदों के नारेबाजी और हंगामे पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से कहा कि वह अपने दल के सांसदों को समझाएं कि जनता ने उन्हें सदन में तख्तियां लहराने या पर्चियां फेंकने के लिए नहीं चुना है। बिरला ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर विपक्ष नियोजित तरीके से प्रश्नकाल को क्यों बाधित कर रहा है, जिससे संसद की गरिमा को ठेस पहुंच रही है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर जोरदार नारेबाजी की। सदन शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने ‘एसआईआर वापस लो’ के नारे लगाए, जिससे प्रश्नकाल बाधित हुआ। बिरला ने विपक्ष से कहा कि यदि वे ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों पर चर्चा चाहते हैं, तो सदन को सुचारू रूप से चलने देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि संसद देश की 140 करोड़ जनता की आवाज है और इसे बाधित करना उचित नहीं है।
विपक्षी सांसदों के रवैये पर नाराजगी
लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सांसदों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि नियोजित हंगामा संसद की मर्यादा को कम करता है। उन्होंने राहुल गांधी से अपील की कि वह अपने सांसदों को सदन की कार्यवाही में रचनात्मक योगदान देने के लिए प्रेरित करें। बिरला ने यह भी कहा कि देश यह जानना चाहता है कि आखिर प्रश्नकाल को बार-बार बाधित करने का मकसद क्या है, जो सांसदों को महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलने से रोक रहा है।
‘क्या चर्चा नहीं करना चाहते‘
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू होने से पहले विपक्षी सांसदों ने लोकसभा में नारेबाजी जारी रखी, सदन की कार्यवाही दोपहर 1:00 बजे तक स्थगित की गई। अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘पहले आप ऑपरेशन सिंदूर पर बहस की मांग करते हैं, फिर सदन में वेल में आ जाते हैं। अगर आप चर्चा में भाग लेना चाहते हैं, तो कृपया अपनी सीट पर बैठ जाएं। क्या आप ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा चाहते हैं या नहीं? क्या मुझे सदन की कार्यवाही स्थगित कर देनी चाहिए?‘





