महाराष्ट्र के मंत्री माणिकराव कोकाटे को विधानसभा में ऑनलाइन कार्ड गेम खेलते हुए कैमरे में पकड़े गए थे। उन्होंने किसानों व सरकारी योजनाओं पर विवादित टिप्पणी भी की थी। इसके बाद उन्हें कृषि मंत्रालय से हटाकर खेल और युवा कल्याण मंत्रालय में स्थानांतरित कर दिया गया। उनकी जगह दत्तात्रेय भरणे को नया कृषि मंत्री नियुक्त किया गया है। यह फैसला मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की बैठक के बाद लिया गया। कोकाटे अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सदस्य हैं।
कोकाटे ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वे रम्मी नहीं खेल रहे थे, बल्कि अपने फोन पर एक पॉप-अप विज्ञापन बंद करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर आरोप साबित हुए तो वे इस्तीफा दे देंगे। हालांकि, उनकी किसानों पर की गई टिप्पणी ने मुख्यमंत्री को नाराज कर दिया। कोकाटे ने कुछ महीने पहले फसल बीमा योजना के बारे में कहा था, “आजकल भिखारी भी एक रुपये नहीं लेते, लेकिन हमने किसानों को एक रुपये में फसल बीमा दिया। कुछ लोगों ने इस योजना का दुरुपयोग किया।” इस बयान पर विवाद होने के बाद उन्होंने सफाई दी कि उनके बयान को गलत समझा गया और सरकार को भिखारी कहा, न कि किसानों को।
शादियों और सगाई जैसे आयोजनों में खर्च
कोकाटे ने पहले भी कहा था कि किसान सरकारी योजनाओं से मिले पैसे का उपयोग शादियों और सगाई जैसे आयोजनों में करते हैं, न कि खेती में। उन्होंने यह भी कहा था कि किसान पांच से दस साल तक कर्ज नहीं चुकाते और कर्जमाफी का इंतजार करते हैं। इसके अलावा, जनवरी में उन्होंने सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की बात स्वीकारी, लेकिन कहा कि दो से चार प्रतिशत भ्रष्टाचार के कारण योजनाओं को बंद नहीं करना चाहिए। फरवरी में, नासिक की एक अदालत ने कोकाटे और उनके भाई सुनील को 1995-1997 के बीच सरकारी कोटे के तहत फर्जी दस्तावेज जमा करने के मामले में दो साल की सजा सुनाई थी।
फडणवीस ने मंत्रियों को दी चेतावनी
मंगलवार को मुख्यमंत्री फडणवीस ने अपने मंत्रियों को चेतावनी दी थी कि बार-बार विवादों में न पड़ें, वरना कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “ऐसे मामलों से सरकार की बदनामी होती है। यह आखिरी मौका है, हम किसी भी तरह के विवादास्पद कार्यों को बर्दाश्त नहीं करेंगे।” महायुति सरकार के लिए किसानों को संतुष्ट रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि मराठवाड़ा जैसे क्षेत्रों में फसलों के कम समर्थन मूल्य, फसल नुकसान की देरी से मुआवजा और कर्ज जैसे मुद्दों पर असंतोष और प्रदर्शन हो रहे हैं।





