महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार का एक वीडियो वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें वे सोलापुर में तैनात सब-डिवीजनल पुलिस अधिकारी अंजलि कृष्णा को अवैध मिट्टी खनन के खिलाफ कार्रवाई रोकने के लिए कथित तौर पर धमकी दे रहे हैं। वीडियो में पवार को एक स्थानीय कार्यकर्ता के फोन पर कृष्णा से बात करते सुना जा सकता है, जिसमें वे कहते हैं, “मैं उपमुख्यमंत्री बोल रहा हूं और मैं तुम्हें आदेश दे रहा हूं कि इसे रोको।” जब कृष्णा ने कहा कि वे आवाज नहीं पहचान रही हैं, तो पवार ने गुस्से में कहा, “मैं तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई करूंगा। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई।”
इस घटना के बाद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने अब अंजलि कृष्णा को निशाना बनाया है। एनसीपी के प्रवक्ता अमोल मिटकारी ने यूपीएससी सचिव को पत्र लिखकर कृष्णा द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों की जांच की मांग की है। मिटकारी ने दावा किया कि इन दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर सवाल उठ रहे हैं और यूपीएससी को इसकी जांच कर सच्चाई का पता लगाना चाहिए।
फोन कॉल से इनकार नहीं
अजित पवार ने इस फोन कॉल से इनकार नहीं किया, बल्कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सफाई दी कि उनका इरादा कानून प्रवर्तन में हस्तक्षेप करना नहीं था, बल्कि स्थिति को शांत रखना और इसे बढ़ने से रोकना था। उन्होंने लिखा, “मैं पारदर्शी शासन और अवैध गतिविधियों, जैसे कि रेत खनन, के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हूं।”
अवैध रेत खनन की शिकायत
यह घटना 31 अगस्त को सोलापुर के कुरडू गांव में हुई, जब अंजलि कृष्णा को अवैध रेत खनन की शिकायत मिली थी। मौके पर पहुंचने पर स्थानीय एनसीपी कार्यकर्ताओं ने सरकारी अधिकारियों को धमकी दी और फिर अजित पवार को फोन किया। इस घटना ने न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि राजनीतिक हस्तक्षेप के मुद्दे को भी उजागर किया है।





