मुंबई में इस साल होने वाले निकाय चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सत्तारूढ़ बीजेपी और उसके सहयोगी, अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना, तैयारियों में जुटे हैं, जबकि विपक्षी दल कांग्रेस, शरद पवार और उद्धव ठाकरे की एनसीपी और शिवसेना भी अपनी खोई जमीन वापस पाने और मतदाताओं से जुड़ने की कोशिश में हैं। बीजेपी ने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए कैडर निर्माण और लगातार नेताओं को शामिल करने पर ध्यान दिया है। हाल ही में, पार्टी ने वसई, अमरावती, रायगढ़ और धाराशिव जैसे क्षेत्रों से 50 से अधिक नेताओं को शामिल किया, जिनमें से कई कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना से आए हैं।
बीजेपी ने नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव में 288 सीटों में से 132 पर जीत हासिल की थी, जो लोकसभा चुनाव में उसके खराब प्रदर्शन (28 में से केवल 9 सीटें) के बाद बड़ी उपलब्धि थी। अब पार्टी 2029 में और मजबूत जीत के लिए हिंदुत्व की कट्टर रणनीति पर जोर दे रही है, ताकि वह स्वतंत्र रूप से सरकार बना सके। बीजेपी के राज्य इकाई प्रमुख रविंद्र चव्हाण ने कहा कि केंद्र और राज्य में एक विचारधारा वाली सरकार जरूरी है, और अब उनका अगला लक्ष्य निकाय चुनाव है, ताकि स्थानीय स्तर पर भी नीतियां लागू हो सकें।
शिवसेना मुश्किल दौर से गुजर रही
दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे की शिवसेना मुश्किल दौर से गुजर रही है। 2019 में 56 सीटें जीतने वाली पार्टी 2024 के विधानसभा चुनाव में केवल 20 सीटों पर सिमट गई। इसके बाद कई वरिष्ठ नेताओं ने एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गए, जिससे उद्धव पर दबाव बढ़ा है। सत्तारूढ़ गठबंधन की ‘ऑपरेशन टाइगर’ रणनीति ने उनकी पार्टी को कमजोर करने की कोशिश की है। हालांकि, उद्धव निकाय चुनाव से पहले नए सिरे से रणनीति बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं और अपने चचेरे भाई राज ठाकरे की एमएनएस के साथ गठबंधन पर विचार कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी को सभी सीटों पर अकेले लड़ने की तैयारी करने का भी निर्देश दिया है।
कांग्रेस भी आंतरिक समस्याओं से जूझ रही
विपक्षी महा विकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस भी आंतरिक समस्याओं से जूझ रही है। लोकसभा चुनाव में उसने सहयोगियों से बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण जैसे बड़े नेताओं के पलायन से विधानसभा चुनाव में उसका प्रदर्शन खराब रहा। समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस ने शरद पवार की एनसीपी से पूर्व विधायक बाबाजानी दुर्रानी जैसे नेताओं को शामिल किया है। यह कदम तात्कालिक लाभ न दे, लेकिन पार्टी इसे प्रतीकात्मक बढ़त के रूप में देख रही है, ताकि गठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत कर सके।





