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Wed, Dec 17, 2025

मराठी लोगों से तमिल या बंगाली बोलने को कहा जाए तो…? भाषा विवाद पर राज्यपाल ने दिखा दिया आईना

Written by:Mini Pandey
Published:
राज्यपाल ने तमिलनाडु की एक घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि एक बार हाईवे पर कुछ लोग एक व्यक्ति को पीट रहे थे क्योंकि वह तमिल नहीं बोल पा रहा था।
मराठी लोगों से तमिल या बंगाली बोलने को कहा जाए तो…? भाषा विवाद पर राज्यपाल ने दिखा दिया आईना

महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राज्य में भाषा को लेकर हो रही हिंसा पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं न केवल राज्य की छवि को नुकसान पहुंचा रही हैं बल्कि दीर्घकालिक रूप से महाराष्ट्र के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर व्यक्ति की मातृभाषा का सम्मान करना चाहिए। राधाकृष्णन ने यह भी बताया कि वह हिंदी नहीं बोल पाते और न ही समझ पाते हैं जो उनके लिए एक बाधा है। उन्होंने तमिलनाडु में सांसद रहते हुए एक घटना का जिक्र किया जहां उन्होंने भाषा के मुद्दे पर हिंसा देखी थी।

राज्यपाल ने तमिलनाडु की एक घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि एक बार हाईवे पर कुछ लोग एक व्यक्ति को पीट रहे थे क्योंकि वह तमिल नहीं बोल पा रहा था। राधाकृष्णन ने तुरंत अपनी गाड़ी रुकवाई और पीड़ितों की मदद की। उन्होंने होटल मालिक से बात कर स्थिति को समझा और पीड़ितों के लिए भोजन का इंतजाम किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की हिंसा से निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है जिससे उद्योग और निवेश राज्य में नहीं आएंगे, जो महाराष्ट्र के लिए नुकसानदायक होगा।

राज्यपाल के विचारों का समर्थन

महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन ने भी राज्यपाल के विचारों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मराठी हमारी मातृभाषा है और इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए लेकिन किसी को मराठी बोलने के लिए मजबूर करना या मारपीट करना गलत है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि मराठी लोग अन्य राज्यों में जाएं और उन्हें तमिल या बंगाली बोलने के लिए कहा जाए तो क्या होगा? महाजन ने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है जहां सभी अपनी भाषा से प्यार करते हैं, लेकिन हिंसक रवैया स्वीकार्य नहीं है।

गैर-मराठी भाषियों के खिलाफ हिंसा

हाल ही में महाराष्ट्र में गैर-मराठी भाषियों के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं, खासकर उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं द्वारा। राज्यपाल और मंत्री के बयानों से स्पष्ट है कि भाषा के नाम पर हिंसा न केवल सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाती है बल्कि राज्य के आर्थिक विकास को भी बाधित कर सकती है।