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Thu, Dec 18, 2025

‘6 लोगों को किसने मारा’, मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपियों के बरी होने पर ओवैसी ने उठाया सवाल

Written by:Mini Pandey
Published:
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि धमाका होने का सबूत मिला, लेकिन एनआईए यह साबित नहीं कर पाई कि बम मोटरसाइकिल में लगाया गया था।
‘6 लोगों को किसने मारा’, मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपियों के बरी होने पर ओवैसी ने उठाया सवाल

महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाके के मामले में विशेष अदालत ने सभी सात आरोपियों, जिनमें पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर भी शामिल हैं, को बरी कर दिया। 29 सितंबर 2008 को रमजान के पवित्र महीने में भिक्कू चौक के पास हुए इस धमाके में छह लोगों की मौत और 100 अधिक लोग घायल हुए थे। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा और सभी आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले पर निराशा जताते हुए कहा कि 6 नमाजियों को उनके धर्म के कारण निशाना बनाया गया था। उन्होंने जांच और अभियोजन को जानबूझकर लापरवाह बताया और सवाल उठाया, “छह लोगों को किसने मारा?” ओवैसी ने यह भी याद दिलाया कि 2016 में तत्कालीन अभियोजक रोहिणी सालियन ने खुलासा किया था कि एनआईए ने उनसे आरोपियों पर नरमी बरतने को कहा था।

एनआईए साबित नहीं कर पाई

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि धमाका होने का सबूत मिला, लेकिन एनआईए यह साबित नहीं कर पाई कि बम मोटरसाइकिल में लगाया गया था। इसके अलावा, न तो यह साबित हुआ कि प्रज्ञा ठाकुर की मोटरसाइकिल थी और न ही यह कि लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के पास आरडीएक्स था या उन्होंने बम बनाया। अदालत ने कुछ दस्तावेजों और मेडिकल सर्टिफिकेट में गड़बड़ी भी पाई और कहा कि संदेह दोषसिद्धि का आधार नहीं हो सकता।

जांच पर सवाल उठाते हुए पूछा

ओवैसी ने एनआईए और एटीएस की जांच पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या लापरवाह जांच के लिए अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह मोदी सरकार का आतंक पर सख्ती का दावा है, लेकिन दुनिया याद रखेगी कि एक आतंक आरोपी को सांसद बनाया गया।” उन्होंने यह भी पूछा कि क्या मोदी और फडणवीस सरकार इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी, जैसा कि मुंबई ट्रेन धमाकों के मामले में किया गया था।