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Sun, Dec 7, 2025

बंगाल में गजब हो गया! एक व्यक्ति के पास से मिले 250 वोटर ID कार्ड, हिरासत में लेकर पूछताछ

Written by:Mini Pandey
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने नदिया जिला मजिस्ट्रेट से पकड़े गए वोटर आईडी कार्ड के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
बंगाल में गजब हो गया! एक व्यक्ति के पास से मिले 250 वोटर ID कार्ड, हिरासत में लेकर पूछताछ

पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में एक व्यक्ति को 250 वोटर आईडी कार्ड के साथ पकड़ा गया और उसे हिरासत में लिया गया हैयह घटना तब हुई जब निर्वाचन आयोग राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) की शुरुआत करने की तैयारी कर रहा हैसूत्रों के अनुसार, यह संशोधन प्रक्रिया नवंबर में शुरू होगी और पहले चरण में पश्चिम बंगाल सहित लगभग 10 राज्यों में होगीनिर्वाचन आयोग के अनुसार, बंगाल में 7.6 करोड़ मतदाता हैं, और इस घटना ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं

पुलिस ने व्यक्ति से पूछताछ की, जिसने दावा किया कि वह हुगली जिले के हिंद मोटर से है और अपनी बहन के घर कल्याणी क्षेत्र में आया थाउसने कहा कि उसे सड़क किनारे झाड़ियों में कुछ वोटर आईडी कार्ड मिले, जिन्हें उसने अपने पास रख लिया। स्थानीय लोगों को संदेह होने पर उन्होंने पुलिस को सूचित किया। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि इतनी बड़ी संख्या में वोटर आईडी कार्ड कल्याणी में कैसे पहुंचे, उन्हें वहां किसने लाया, और इसके पीछे कौन है।

आईडी कार्ड के बारे में मांगी विस्तृत रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने नदिया जिला मजिस्ट्रेट से पकड़े गए वोटर आईडी कार्ड के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस घटना ने राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की स्थिति पर सवाल उठाए हैं। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस मामले को लेकर ममता बनर्जी सरकार की कड़ी आलोचना की है। बीजेपी विधायक अंबिका रॉय ने दावा किया कि ममता बनर्जी के शासन में बूथ कैप्चरिंग और वोट लूट जैसे मामले आम हो गए हैं, और जब तक तृणमूल कांग्रेस सत्ता में है, तब तक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं हैं।

राजनीतिक माहौल और गरमाने की संभावना

यह घटना बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नजदीक आने के साथ ही पश्चिम बंगाल में राजनीतिक माहौल को और गरमाने की संभावना है। मतदाता सूची की विश्वसनीयता और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठने से राजनीतिक दलों के बीच तनाव बढ़ सकता है। यह मामला निर्वाचन आयोग और स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है, क्योंकि वे मतदाताओं का भरोसा बनाए रखने के लिए इसकी गहन जांच कर रहे हैं।