पशु अधिकार कार्यकर्ता और बीजेपी सांसद मेनका गांधी की बहन अंबिका शुक्ला ने रेबीज वायरस को नाजुक बताकर विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि कुत्ते के काटने के बाद घाव को साबुन से धोने से रेबीज वायरस मर जाता है। यह बयान दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के सुप्रीम कोर्ट के 11 अगस्त के आदेश के विरोध में एक प्रदर्शन के दौरान आया। शुक्ला ने कहा, “रेबीज बहुत दुर्लभ बीमारी है और यह आसानी से नहीं फैलती। भारत में अरबों लोगों के बीच केवल 54 मामले हैं।”
अंबिका शुक्ला के इस बयान की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हुई। कई यूजर्स ने उनके दावे को गलत और भ्रामक बताया। एक यूजर ने लिखा, “रेबीज कोई हल्का वायरस नहीं है। यह एक घातक बीमारी है, जो लक्षण दिखने के बाद लगभग 100% जानलेवा है। साबुन से धोना जोखिम कम कर सकता है, लेकिन चिकित्सकीय उपचार जैसे टीकाकरण और इम्यूनोग्लोबुलिन जरूरी हैं।” लोगों ने मेडिकल समुदाय से रेबीज की गंभीरता के बारे में जागरूकता फैलाने की मांग की।
रेबीज की वास्तविकता
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, रेबीज 150 से अधिक देशों में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, खासकर एशिया और अफ्रीका में। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR-NIE) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर साल रेबीज से 5700 से अधिक लोगों की मौत होती है। साबुन से घाव धोने से वायरल लोड कम हो सकता है, लेकिन यह रेबीज को पूरी तरह खत्म नहीं करता।
विशेषज्ञों की सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि कुत्ते के काटने के तुरंत बाद घाव को साबुन और पानी से धोना चाहिए, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। रेबीज से बचाव के लिए तत्काल चिकित्सकीय उपचार, जैसे पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PEP) जरूरी है। जनता से अपील की जा रही है कि रेबीज की गंभीरता को समझें और किसी भी पशु के काटने के बाद तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।





