पूर्व केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इस आदेश को अव्यावहारिक, आर्थिक रूप से संभव नहीं और पारिस्थितिक संतुलन के लिए हानिकारक बताया। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों की समस्या को गंभीर बताते हुए दिल्ली सरकार और नगर निकायों को उन्हें पकड़कर शेल्टर में रखने का निर्देश दिया है।
मेनका गांधी ने कहा कि दिल्ली में तीन लाख आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए 3000 पाउंड बनाने होंगे जिनमें पानी, ड्रेनेज, शेड और सुरक्षा की व्यवस्था होगी। इस पर 15,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा जो दिल्ली सरकार के लिए संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इन कुत्तों को खिलाने पर हर हफ्ते 5 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा जिससे जनता में नाराजगी फैल सकती है।
पहले के फैसले को क्यों नजरअंदाज किया?
मेनका गांधी ने आदेश की कानूनी वैधता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एक महीने पहले सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने इसी मुद्दे पर संतुलित फैसला सुनाया था, लेकिन अब दो सदस्यीय बेंच ने नया आदेश पारित कर दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि कुत्तों को हटाने से चूहों और बंदरों की संख्या बढ़ सकती है, जैसा पेरिस में 1880 के दशक में हुआ था।
दिल्ली सरकार ने आदेश मानने का संकेत दिया
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या गंभीर हो चुकी है और सरकार जल्द ही एक योजना बनाकर कोर्ट के आदेश को लागू करेगी। वहीं, दिल्ली विकास मंत्री कपिल मिश्रा ने इसे रेबीज और आवारा जानवरों के डर से मुक्ति बताया। मेनका गांधी ने आगाह किया कि कुत्तों को पकड़ने का काम सड़कों पर झगड़े भी खड़े कर सकता है।





